
वाचस्पति रयाल -संवाददाता -नरेन्द्रनगर-उत्तराखंड;

जिला नियोजन समिति के सदस्य दयाल सिंह रावत तथा सत्येंद्र सिंह धनौला द्वारा क्षेत्र के सार्वजनिक विकास कार्यों के 7 प्रस्तावों को लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के द्वारा दरकिनार करने तथा 1 करोड़ 22 लाख की धनराशि का कार्य अपनी मर्जी से अपने चहेतों को दिलाए जाने के मामले को लेकर,

पूर्व ब्लाक प्रमुख वीरेंद्र सिंह कंडारी व पूर्व पालिका अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल नरेंद्रनगर स्थित लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय पहुंचा,
दयाल सिंह रावत व सत्येंद्र सिंह धनौला ने कहा कि वे जिला पंचायत सदस्य होने के नाते जिला नियोजन समिति के सदस्य हैं, नियम के मुताबिक उनकी लिखित संस्तुति के आधार पर क्षेत्र में सार्वजनिक विकास कार्यों को करवाया जाता है,
मगर दोनों सदस्यों के लिखित 7 प्रस्तावों को दरकिनार कर विकास कार्यों को क्यों रोका गया,
अधिशासी अभियंता विजय कुमार मोघा इसका कोई संतोष जनक जवाब नहीं दे पाए, और गरमा गरम बहस के बीच हंगामे की नौबत आ पहुंची,

नौबत यहां तक पहुंच गई कि अधिशासी अभियंता को कार्यालय के और कर्मचारी अपनी सहायता के लिए बुलाने पड़े,
मगर इस बीच प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे पूर्व ब्लाक प्रमुख वीरेंद्र कंडारी तथा पूर्व पालिका अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणा ने स्थिति को बिगड़ने से संभाला, तथा वार्ता के बिंदुओं को आगे बढ़ाया,

मामला तब जाकर शांत हुआ जब अधिशासी अभियंता विजय कुमार मोघा ने बिंदुवार समस्याओं को निस्तारण करने का आश्वासन दिया,
प्रतिनिधि मंडल का कहना था, कि क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए, चुने गए प्रतिनिधियों के प्रस्ताव को यदि भविष्य में नकारा गया, तो इसके परिणाम गंभीर होंगे।

विकास कार्यों के लिए चुने गए प्रतिनिधियों के प्रस्तावों पर कार्य योजना धरातल पर उतारी जानी चाहिए,
प्रतिनिधि मंडल ने अधिशासी अभियंता को ज्ञापन दिया है कि,मांगों के ना माने जाने पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।

प्रतिनिधि मंडल में पूर्व ब्लाक प्रमुख वीरेंद्र सिंह कंडारी, पूर्व पालिका अध्यक्ष नरेंद्रनगर राजेंद्र सिंह राणा, जि पं सदस्य व नियोजन समिति के सदस्य दयाल सिंह रावत, सत्येंद्र सिंह धनौला, विक्रम सिंह कैन्तुरा, राजेंद्र सिंह गुसाईं, अजय धमांदा, हरेंद्र सिंह नेगी रविंद्र नेगी व निखिल आदि थे,

