लोकेशन – चकराता
संवाददाता – इलम सिंह चौहान
जौनसार बाबर जनजाति क्षेत्र चकराता की लाइफ लाइन कही जाने वाली कालसी चकराता की सड़क जो कि अब डेंजर जोन में तब्दील हो चुकी है जिसके चलते शनिवार को रिखाड़ गांव के एक दंपति के नवजात शिशु ने मार्ग बंद होने पर इलाज के अभाव में में दम तोड़ दिया ।
बता दें कि चकराता के रिखाड़ गांव निवासी गर्भवती आशा देवी को प्रसव पीड़ा होने पर गुरुवार की रात को सीएचसी चकराता में भर्ती कराया गया था जहां चिकित्सकों द्वारा जांच के बाद गर्भवती महिला को हायर सेन्टर के लिए रेफर किया गया था। गर्भवती महिला को लेकर परिजन रात को ही निजी वाहन से विकासनगर के लिए रवाना हुए किंतु जजरेड़ के पास भारी मलवा आने के कारण सड़क बंद थी जिस कारण जजरेड़ से उन्हें वापस साहिया आना पड़ा।
करीब 3:00 बजे गर्भवती को लेकर परिजन सीएचसी साहिया पहुंचे जहां शुक्रवार की सुबह उसने एक नवजात शिशु को जन्म दिया किंतु शनिवार को नवजात शिशु की तबीयत बिगड़ने पर स्टाफ नर्स द्वारा उसे विकासनगर ले जाकर बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर से दिखाने की सलाह दी गई। नवजात शिशु के पिता अमित ने बताया कि 108 आपातकालीन एंबुलेंस को फोन किया लेकिन वह भी समय से नहीं पहुंची पाई। इसलिए निजी वाहन से ही नवजात शिशु के इलाज के लिए विकासनगर के लिए चल पड़े किन्तु जजरेड़ के पास मलवा आने के कारण मोटर मार्ग बंद मिला।
लगभग एक घंटा इंतजार करने के बाद नवजात शिशु की धड़कनें थम गई। दंपति को रोता हुआ देख लोक पंचायत सदस्य सतपाल चौहान और सुनील चौहान द्वारा नवजात को वापस अपने वाहन से सीएचसी साहिया लाया गया और चिकित्सकों से जांच करवाई परंतु तब तक नवजात दम तोड़ चुका था।
आखिर डेंजर जोन में तब्दील हो चुकी जजरेड़ कब कब होगा का स्थाई समाधान। पहाड़ी क्षेत्रों को सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से कब तक वंचित होना पड़ेगा। कब तक शिक्षा ,सड़क और स्वास्थ्य , रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। 24 साल बाद में उत्तराखंड के नीति निर्माताओं के सामने यह प्रश्न मुंह बाएं खड़े हैं।