सीमावर्ती क्षेत्रों में गौरा पर्व के रंग में रंगी महिलाएँ पूरे उत्साह के साथ चल रहा है गौरा गायन

सीमावर्ती क्षेत्रों में गौरा पर्व के रंग में रंगी महिलाएँ पूरे उत्साह के साथ चल रहा है गौरा गायन

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रिपोटर -:लक्ष्मण बिष्ट

स्थान -लोहाघाट

लोहाघाट ब्लॉक नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में गौरा पर्व की धूम मची हुई हैं। सीमावर्ती जिंडी गांव में मां गौरा देवी मंदिर में मां गोरा की प्रतिमा के सामने महिलाओ के द्वारा गोरा गायन किया जा रहा है पंडित मदन कॉलोनी ने बताया कि जब माता गौरी भगवान भोलेनाथ से रूठ कर अपने मायके चले आती हैं तो उनको मनाने के किए स्वयं भोलेनाथ ससुराल आते हैं। इसी कारण से महेश्वर को भी डलिया में रखकर उनको भी नये वस्त्र आभूषण पहनाये जाते हैं और सिर में रखकर नृत्य करते हुए माता पार्वती के समीप पूरे विधि विधान से स्थापित किया जाता है

और दोनों की पूजा अर्चना की जाती है।वहीं आयोजन समिति के कल्याण चंद ने बताया कि प्रतिदिन शाम को महिलाओं द्वारा गौरा से संबंधित लोक गीतों के साथ झोड़े , झुमटे आदि का गायन किया जा रहा हैं। तथा पुरुषों के द्वारा महाभारत और रामायण कालीन वीर गाथाओं का गायन किया जा रहा है पूरा सीमावर्ती क्षेत्र गौरा गायन की खुमार में डूबा हुआ है मालूम हो नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में गौरा पर्व को काफी धूमधाम वह उत्साह से मनाया जाता है तथा गोरा पर्व मैं शामिल होने के लिए क्षेत्र की शादीशुदा महिलाएं अपने ससुराल से अपने मायके आई हुई है

तथा कई प्रवासी अपने घर पहुंचे हुए हैं महोत्सव के अंतिम दिन काफी धूमधाम के साथ वह नम आंखों से मां गोरा को उनके ससुराल कैलाश को विदा किया जाएगा मालूम हो इन महोत्सवों के द्वारा सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों के द्वारा अपनी संस्कृति व अपने पूर्वजों की धरोहरों को सहेज कर रखा जा रहा है तथा नई पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति से रूबरू करवाया जा रहा है