रामनगर: ‘भिक्षा नहीं शिक्षा’ अभियान की खुली पोल, मासूम नशे और भीख में उलझे, पुलिस बनी मूकदर्शक

रामनगर: ‘भिक्षा नहीं शिक्षा’ अभियान की खुली पोल, मासूम नशे और भीख में उलझे, पुलिस बनी मूकदर्शक

रिपोर्टर नाम-: आसिफ इक़बाल

लोकेशन-: रामनगर

उत्तराखंड पुलिस द्वारा समय-समय पर समाज को जागरूक करने के लिए विभिन्न अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें ‘भिक्षा नहीं, शिक्षा’ अभियान प्रमुख है। यह अभियान हर वर्ष बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित करने और भिक्षावृत्ति से दूर रखने के उद्देश्य से पूरे प्रदेश में चलाया जाता है।

लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट नजर आ रही है। रामनगर में शराब की दुकानों और बाजारों के बाहर आज भी छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते और कूड़ा बीनते दिखाई दे रहे हैं। कुछ नाबालिग नशे के लती बन चुके हैं और कई चोरी जैसी गतिविधियों में भी लिप्त हैं।

अभियान केवल औपचारिकता तक सीमित

स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन द्वारा इस अभियान को केवल एक-दो दिन चलाकर खानापूर्ति की जाती है

, जबकि वास्तविकता में कोई स्थायी समाधान नहीं निकलता। यह स्थिति ‘भिक्षा नहीं शिक्षा’ अभियान की गंभीर असफलता को दर्शाती है।

पुलिस की चुप्पी बनी चिंता का कार

स्थानीय पुलिस की ओर से अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। बढ़ते नशे और अपराध की ओर बढ़ते इन मासूमों की स्थिति चिंताजनक है, और पुलिस की मूकदर्शक भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

सीओ का आश्वासन: चलेगा समन्वित अभियान

इस विषय पर सीओ रामनगर सुमित पांडे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,

जल्द ही एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल और कोतवाली पुलिस आपसी समन्वय से अभियान चलाएंगे। ऐसे बच्चों को चिह्नित कर शिक्षा से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जा रहे हैं ताकि इस अभियान को गंभीरता से क्रियान्वित किया जा सके, न कि सिर्फ औपचारिकता के रूप में।