उत्तराखंड की राजनीति में फिर गरमाई बयानबाज़ी: कांग्रेस में विभाजन की भविष्यवाणी पर भाजपा–कांग्रेस आमने-सामने

उत्तराखंड की राजनीति में फिर गरमाई बयानबाज़ी: कांग्रेस में विभाजन की भविष्यवाणी पर भाजपा–कांग्रेस आमने-सामने

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स्थान -देहरादून

उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर तीखे बयानों और आरोप-प्रत्यारोपों के दौर में प्रवेश कर गई है। पूर्व मंत्री और भाजपा नेता दिनेश अग्रवाल द्वारा कांग्रेस में संभावित “बड़े विभाजन” की भविष्यवाणी ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। इस बयान पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने करारा पलटवार करते हुए दिनेश अग्रवाल की राजनीतिक विश्वसनीयता और प्रासंगिकता पर सीधा सवाल उठाया।

दिनेश अग्रवाल का हमला: कांग्रेस दिशाहीन और बिखराव की कगार पर

पूर्व कांग्रेसी नेता और अब भाजपा में शामिल दिनेश अग्रवाल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी का रवैया बेहद निराशाजनक और दिशाहीन है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस का आंतरिक बिखराव इस कदर बढ़ चुका है कि जल्द ही उत्तराखंड में पार्टी एक बड़े विभाजन का सामना करेगी।

अग्रवाल ने अपने 55 वर्षों के कांग्रेस कार्यकाल का हवाला देते हुए कहा कि उनका राजनीतिक कद मेहनत और कर्मठता का परिणाम है, न कि किसी की कृपा। उन्होंने कांग्रेस के हालिया अधिवेशन को निराशाजनक बताते हुए कहा कि वर्तमान नेतृत्व में देश को दिशा देने की क्षमता नहीं बची है।

करन माहरा का पलटवार: “खा-पीकर भाजपा चले गए”

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने दिनेश अग्रवाल के बयान को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस में अब कमजोर इरादों वाले नेता नहीं बचे, जो लाभ उठाकर दूसरी पार्टी में चले जाएं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने अग्रवाल को मंत्री पद से लेकर हर सम्मान दिया, लेकिन उन्होंने विश्वासघात किया

माहरा ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि भाजपा में अग्रवाल की कोई राजनीतिक अहमियत नहीं बची, और वे अब कांग्रेस को कमजोर बताकर खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही के मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनावों में कांग्रेस की जीत तथा नगर निकाय चुनावों में बेहतर प्रदर्शन का हवाला देते हुए पार्टी की मजबूती का दावा किया।

व्यक्तिगत बयानबाज़ी बनाम जनता के मुद्दे

हालांकि दोनों पक्षों की बयानबाजी व्यक्तिगत कटाक्षों और पुराने अनुभवों पर केंद्रित रही, लेकिन इनमें जनता से जुड़े मुद्दों या नीति संबंधी कोई ठोस बात नहीं दिखी। अग्रवाल का कांग्रेस पर आरोप तथ्यात्मक रूप से कमजोर नजर आया, तो माहरा का पलटवार भी नेतृत्व पर उठे सवालों का स्पष्ट उत्तर देने में विफल रहा।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह जुबानी जंग जनता का ध्यान कुछ वक्त के लिए जरूर खींच सकती है, लेकिन यह राजनीतिक संवाद को रचनात्मक दिशा में ले जाने के बजाय व्यक्तिगत कटाक्षों में उलझा रही है

यह घटनाक्रम इस ओर इशारा करता है कि दोनों ही दल अपनी आंतरिक स्थिति और जनविश्वास को बनाए रखने के लिए संघर्षरत हैं। कांग्रेस जहां संगठनात्मक एकजुटता और स्पष्ट नेतृत्व की कमी से जूझ रही है, वहीं भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता अपनी भूमिका और प्रासंगिकता साबित करने में व्यस्त नजर आ रहे हैं।

जनता की अपेक्षा है कि राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप से आगे बढ़कर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि उत्तराखंड की राजनीति विकास और उत्तरदायित्व की दिशा में आगे बढ़े।

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