

देहरादूनः
उत्तराखंड में चल रहे 38वें राष्ट्रीय खेलों में अब जिम्नास्टिक प्रतियोगिताओं की शुरुआत हो चुकी है. देहरादून महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के मल्टीपरपज हॉल में चल रहे जिम्नास्टिक इवेंट्स आयोजित किए जा रहे हैं. उत्तराखंड जिम्नास्टिक टीम के कोच इंस्पेक्टर गिरीश चंद जोशी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि जिस तरह से खेलों में एथलेटिक्स को फादर ऑफ गेम्स कहा जाता है, उसी तरह जिम्नास्टिक को मदर ऑफ गेम माना जाता है. गिरीश चंद ने बताया कि विदेश ने इस प्रतिभा को पहचाना है. इस पर काफी काम किया है. लेकिन देश में और खासतौर से उत्तराखंड में इसको लेकर अभी कुछ खास प्रयास नहीं किए गए थे. लेकिन पहली बार नेशनल गेम्स की वजह से उत्तराखंड में जिम्नास्टिक की वर्ल्ड क्लास सुविधाएं विकसित की गई हैं.

उत्तराखंड में देशभर से आए 300 जिम्नास्ट: उत्तराखंड जिम्नास्टिक टीम के कोच गिरीश जोशी ने बताया कि उत्तराखंड में चल रहे 38वें राष्ट्र खेलों के तहत होने वाली जिम्नास्टिक प्रतियोगिताओं के लिए देश भर से 300 जिम्नास्टिक खिलाड़ी उत्तराखंड पहुंचे हैं. वहीं उत्तराखंड से भी 12 जिम्नास्टिक खिलाड़ी इन प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं. उत्तराखंड जिम्नास्टिक कोच गिरीश जोशी ने बताया कि जिस तरह से उत्तराखंड में एक ही छत के नीचे जिम्नास्टिक की सभी प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं और सभी तरह के इक्विपमेंट यहां लाए गए हैं. ऐसा देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में भी बहुत कम देखने को मिलता है. उन्होंने इसके लिए उत्तराखंड सरकार, उत्तराखंड खेल विभाग के विशेष प्रमुख सचिव अमित सिन्हा का आभार व्यक्त किया है.
उत्तराखंड की रग में जिम्नास्टिक: गिरीश जोशी ने बताया कि इन राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड से 12 जिम्नास्ट प्रतिभाग कर रहे हैं. उत्तराखंड में हालांकि अब तक जिम्नास्टिक के क्षेत्र में कोई बड़ा इतिहास नहीं है. लेकिन जिस तरह से उत्तराखंड का जिम्नास्टिक है और यहां के पहाड़ी परिवेश में बचपन से ही बच्चों में मजबूती और फ्लेक्सिबिलिटी होती है, इसका इस्तेमाल जिम्नास्टिक में बेहद अच्छे तरीके से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि विदेशों में इसे बेहद अच्छी तरह से पहचाना गया है. इस पर काम किया गया है. लेकिन अब उत्तराखंड में भी इक्विपमेंट और व्यवस्थाएं होने के बाद निश्चित तौर से यहां के भी खिलाड़ियों की नई पौध तैयार होगी. निश्चित तौर से आने वाले समय में उत्तराखंड जिम्नास्टिक के क्षेत्र में अपना अच्छा प्रदर्शन करेगा जिसकी शुरुआत इन राष्ट्रीय खेलों के बाद से हो जाएगी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जिम्नास्टिक का बहुत ज्यादा पोटेंशियल है. बस इसे हमें पहचान की जरूरत है.

4 साल की उम्र से तैयार होते हैं खिलाड़ी: जिम्नास्टिक कोच ने बताया कि यह एकमात्र ऐसा खेल है जो कि 4 साल की उम्र से बच्चा खेल सकता है और 15 – 16 साल की उम्र तक आते-आते खिलाड़ी नेशनल और इंटरनेशनल मुकाम हासिल कर सकता है. इसके लिए स्ट्रेंथ फ्लेक्सिबिलिटी और मोबिलिटी की जरूरत होती है. इस पर ट्रेनिंग दी जाती है. जिमनास्टिक प्रतियोगिताओं में पांच तरह के इवेंट्स होते हैं. जिसमें ट्रामपॉलिन एक्रोबैटिक आर्टिस्टिक, एरोमेटिक और रिदमिक जिमनास्टिक इवेंट्स होते हैं.

