माँ भगवती का पहला नवरात्र मनसादेवी मंदिर में दर्शन के लिए, जुटे भक्त

माँ भगवती का पहला नवरात्र मनसादेवी मंदिर में दर्शन के लिए, जुटे भक्त

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रिपोटर-शहजाद अली

स्थान-हरिद्वार

आज है माँ भगवती का पहला नवरात्र इस मौके पर देश भर के मंदिरों में माँ की पूजा अर्चना चल रही है, तो वही हरिद्वार के मंदिरों में भी भक्तो का रेला सुबह से ही जुटना सुरु हो गया है |

हरिद्वार के मनसादेवी मंदिर में सुबह से ही भक्त माँ के दर्शन के लिए पहुचने सुरु हो गए थे | पहले तो माँ भगवती की विशेष आरती की गयी, और बारी बारी से भक्त माँ के दर्शन मे जुट गए |नवरात्रों के दिनों मै माँ मनसादेवी का महत्त्व काफी मन जाता है | हरिद्वार का मां मंसा देवी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध हैं। यहाँ पर दूर दूर से भक्त मां के दर्शन करने आते हैं । इसे सिद्ध पीठ माना जाता है। इस मंदिर के बारे में ये मान्यता है, कि जो भी यहाँ पर सच्चे मन से माँ की भक्ति करता है , मां मंसा देवी की पूजा अर्चना करता है, मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मनसा देवी यानि मन की सभी इच्छा पूरी करने वाली देवी है मां मंसा देवी। मां मंसा देवी के बारे में कई तरह की कथाओं का वर्णन पौराणिक ग्रन्थों में मिलता है। पुराणों में कहा गया है, कि मंसा देवी महर्षि कष्यप की मानस पुत्री थी। वह भगवान शिव की भी मानस पुत्री कहलाई थी। एक बार महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार देव लोक के साथ ही पृथ्वी पर भी बढ गया। उसके अत्याचारों से पूरे देव लोक में हाहाकार मचा हुआ था। सभी देवता महिषासुर के अत्याचारों से परेशान हो उठे थे। उससे बचने का कोई रास्ता उन्हें नही दिखाई दे रहा था। तब देवताओं ने मां भगवती की स्तुति की।

मां भगवती दुर्गा ने रूप बदल कर महिषासुर का वध किया और पृथ्वी लोक के साथ ही देवताओं को महिषासुर से मुक्ति दिलाई। महिषासुर का वध करने के बाद मां दुर्गा ने इसी स्थान पर हरिद्वार में इली स्थान पर आकर विश्राम किया था, और फिर से अपने स्त्री रूप में आई थी। मां दुर्गा ने महिषासुर से मुक्ति दिलाकर देवताओं के मन की इच्छा पूरी की थी इस लिए वह मंसा देवी कहलाई। तभी से यहाँ पर उन्हें मां मंसा देवी के रूप में पूजा जाता हैँ। इसके अलावा उनके बारे मेंेक और कथा है, कि जब समुद्र मंथन के बाद निकले विष को सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान ने शिव ने विष को अपने कंठ में ग्रहण कर लिया था। तब वह विष के प्रभाव से शिव विचलित हो गये थे। विष की ज्वाला से वह परेशान हो गये थे। तब शिव ने नाग कन्या मंसा देवी को अपने मन में इच्छा रूपी भाव से कन्या को जन्म दिया।

तब नाग कन्या मंसा देवी ने शिव के कंठ से सारा विष खींच कर शिव को विष की ज्वाला से मुक्ति दिलाई थी। भक्त भी सुबह से यहाँ पहुचने शुरू हो गए थे, दूर दूर से याना आने वाले भक्तो का कहना है, की माता के पहले नवरात्रे पर यहाँ आना उनके लिए काफी ख़ुशी की बात है , और वो अपने आपको धन्ये मान रहे है ।