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रिपोटर -ब्यूरो रिपोट
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने रक्षाबंधन पर्व पर पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारे सभी पर्व और त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार ही मनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन पर्व को लेकर असमंजस की स्थिति भद्रा के कारण बनी है। शंकराचार्य ने कहा कि रक्षाबंधन का त्यौहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर्व पर बहनें भाइयों को राखी बांधती हैं।
इसके अलावा यह श्रावणी उपाक्रम है। जिसमें आचार्यों द्वारा रक्षा सूत्र बांधा जाता है।शंकराचार्य जी ने कहा कि भद्रा की समाप्ति का निर्धारण सूर्योदय के अनुसार होगा। जहां सूर्योदय जल्दी होगा वहां जल्दी समाप्त होगी और जहां देर से सूर्योदय होगा वहां देर से भद्रा काल की समाप्ति होगी।रक्षा पर्व मनाए जाने के संदर्भ में शंकराचार्य ने कहा कि भद्रा काल के निवर्तन के बाद जो कि सूर्योदय के बाद सुबह 9 बजे समाप्त हो रहा है।
रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यम मार्ग को अपनाते हुए व्यावहारिक दृष्टिकोण से रक्षा सूत्र की पूजा भद्राकाल समाप्त होने के बाद की जा सकती है। 31 तारीख को पूजित रक्षा सूत्र को बांधा जा सकता है।