श्री भगवान दास संस्कृत महाविद्यालय में हुआ संस्कृत सप्ताह का शुभारंभ भारतीय मन्दिरो पर संगोष्टि कार्यक्रम

श्री भगवान दास संस्कृत महाविद्यालय में हुआ संस्कृत सप्ताह का शुभारंभ भारतीय मन्दिरो पर संगोष्टि कार्यक्रम

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रिपोटर -नरेश तोमर

स्थान -हरिद्वार

हरिद्वार में आज श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय द्वारा भारत में मन्दिर संस्कृति विषय पर एक द्विदिवसीय राष्ट्रिय संगोष्ठी का आयॊजन किया गया किस तरह से मन्दिरों का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है कार्यक्रम में संस्कृताचार्य भागिरिथिनन्द ने बताया जैसा कि प्राचीन काल में ये मन्दिर अध्यात्म, राजनीति और पठन पाठन के केन्द्र रहें हैं। मन्दिरों के बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना व्यर्थ है,

मन्दिर भारतीय संस्कृति का स्वर्णिम इतिहास है, इनकी वास्तुकला, स्थान और परम्पराओं का वैज्ञानिक महत्व है ये मन्दिर अध्यात्म शक्ति के केन्द्र हैं। निराश एवं हताश व्यक्ति भी जब मन्दिर जाता है, तो वह अपने को ऊर्जावान अनुभव‌ करता है। कार्यक्रम में अन्य आचार्यो ने बताया कि विदेशों में भी भारत के मन्दिरों के प्रति लोग बहुत श्रद्धा रखते हैं। विदेशी लोग जीवन में एक बार भारत के मन्दिरों के दर्शन करने की अभिलाषा करते हैं

,अंकोरवाट आदि के मन्दिर भारतीय संस्कृति के गौरव का स्मरण करा रहे हैं। फिजी, मारीशस, नेपाल, नीदरलैंड, यूरोप, अमेरिका आदि देशों में मन्दिर संस्कृति के माध्यम से लोग परस्पर जुड रहें हैं। संगोष्ठी के उद्घाटन के उपरान्त एक कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया