आय से अधिक संपत्ति मामलों पर हाईकोर्ट सख्तमुख्य सचिव व आयकर विभाग को दिया दो सप्ताह में कार्रवाई का आदेश

आय से अधिक संपत्ति मामलों पर हाईकोर्ट सख्तमुख्य सचिव व आयकर विभाग को दिया दो सप्ताह में कार्रवाई का आदेश

स्थान : नैनीताल
ब्यूरो रिपोर्ट

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों की आय से अधिक संपत्ति और पारिवारिक संपत्तियों के खुलासे से जुड़े मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि नियमों के तहत संपत्ति छुपाने पर कठोर जवाबदेही तय की जाए।

यह मामला जल निगम के कुछ अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति की जांच से जुड़ा है। इस संबंध में अनिल चंद्र बलूनी और जाहिद अली की ओर से जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, जबकि अखिलेश बहुगुणा और सुजीत कुमार विकास ने आरोपों को गलत बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी है। चारों मामलों की संयुक्त सुनवाई चल रही है।

संपत्ति खुलासे के नियमों पर कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्देश

8 दिसंबर को हुई सुनवाई में अदालत ने उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली-2002 का हवाला देते हुए कहा कि ‘परिवार’ में—
पत्नी, पुत्र, सौतेला पुत्र, अविवाहित पुत्री, सौतेली अविवाहित पुत्री, आश्रित पति/पत्नी, तथा रक्त संबंध/विवाह संबंध से आश्रित सदस्य—सभी शामिल हैं।

कोर्ट ने टिप्पणी की कि कई सरकारी कर्मचारी यह कहकर परिजनों की संपत्ति का खुलासा नहीं करते कि वे ‘आर्थिक रूप से स्वतंत्र’ हैं, जबकि नियम ऐसी कोई छूट नहीं देते। इस आधार पर कोर्ट ने शासन से कहा कि निगम और अन्य सेवाओं के नियम भी इसी पारदर्शिता मानक के अनुरूप संशोधित किए जाएं।

दो सप्ताह में नियम स्पष्ट कर गजट में प्रकाशित करने का आदेश

कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि परिवार की परिभाषा और संपत्ति खुलासे से जुड़े नियमों को दो सप्ताह के भीतर स्पष्ट कर गजट में प्रकाशित किया जाए।
अनुपालन रिपोर्ट 22 दिसंबर तक कोर्ट में प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं।

सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। कोर्ट ने फिलहाल उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति पर छूट दी है, लेकिन चेतावनी दी कि अनुपालन न होने पर जवाबदेही तय होगी

आयकर विभाग को गहन जांच के निर्देश

हाईकोर्ट ने सीधा निर्देश दिया है कि दोनों पीआईएल की प्रतियां आयकर विभाग को भेजी जाएं।
आयकर विभाग को दो सप्ताह में रिपोर्ट देने और आरोपित ‘अकूत संपत्ति’ की गहन जांच करने को कहा गया है। आवश्यकता पड़ने पर झारखंड से देहरादून तक रिकॉर्ड मंगाए जाने की पूरी छूट भी दी गई है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों पीआईएल की अनुपालन रिपोर्ट अगली सुनवाई पर कॉज लिस्ट में शीर्ष पर रखी जाए, ताकि देरी की कोई संभावना न रहे।

हाईकोर्ट के इस सख्त रुख ने राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने को लेकर प्रशासन पर दबाव बढ़ा दिया है।