
रिपोर्टर : संजय जोशी
स्थान : रानीखेत

विधानसभा चुनावों में अभी डेढ़ साल का समय शेष है, लेकिन प्रदेश की सियासी सरगर्मियां धीरे-धीरे तेज होती जा रही हैं। इसी बीच उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने रानीखेत की उपेक्षा को लेकर भावुक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए सरकार पर निशाना साधा है।
रावत ने लिखा कि उन्हें हाल ही में रानीखेत जाने का अवसर मिला और वहां के मुरझाए चेहरे और सूने बाजार देखकर वे व्यथित हो उठे। उन्होंने आरोप लगाया कि मिलिट्री कैंटीनों और सड़क निर्माण के नाम पर जो थोड़ा-बहुत विकास हुआ, उससे स्थानीय बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

चौबटिया का पतन और निदेशालय का स्थानांतरण
रावत ने लिखा, “चौबटिया गार्डन, जिसकी कभी देश भर में प्रतिष्ठा थी, आज बदहाल है। उत्तर प्रदेश के समय जिस भवन में उद्यान निदेशालय संचालित होता था, राज्य बनने के बाद वह धीरे-धीरे खाली हो गया और उसकी ‘आत्मा’ देहरादून में बस गई।” उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इस प्रक्रिया को उलटने की कोशिश की थी, लेकिन उनके पद छोड़ने के बाद फिर सबकुछ वहीं लौट गया।
“सेना हड़प रही है गोल्फ ग्राउंड”
हरीश रावत ने रानीखेत के ऐतिहासिक गोल्फ ग्राउंड का जिक्र करते हुए कहा कि यह एक बड़ी धरोहर है, जिसे सेना धीरे-धीरे अपने कब्जे में ले रही है, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि मौन हैं।

अधूरी योजनाएं और बिगड़ता इको टूरिज्म
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि दरमोडी और सोनी के जंगलों में उन्होंने अपने कार्यकाल में इको टूरिज्म की योजनाएं शुरू की थीं – साइक्लिंग ट्रैक, बर्ड वॉचिंग सेंटर, डियर और रैबिट ब्रीडिंग फार्म सहित कई योजनाएं बनाई गईं थीं, लेकिन वे सभी आज भी अधूरी हैं और पर्यटकों का इंतजार कर रही हैं।

“रानीखेत को जिला बनाने की दिशा में प्रयास विफल”
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने 9 नए जिलों के गठन का निर्णय लिया था और इसके लिए 100 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान भी किया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद रानीखेत को इसका लाभ नहीं मिल पाया।

“रानीखेत बचाओ अभियान जरूरी”
पोस्ट के अंत में हरीश रावत ने लिखा –
“प्रकृति की अद्भुत धरोहर, जिससे उत्तराखंड इको टूरिज्म में बुलंदियां हासिल कर सकता है, वह अवसर हमारे हाथ से निकल न जाए। एक रानीखेत बचाओ अभियान बहुत आवश्यक है।”

विश्लेषण
हरीश रावत की यह पोस्ट सिर्फ रानीखेत की पीड़ा नहीं, बल्कि आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक संदेश भी है। यह सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। वहीं, यह पोस्ट स्थानीय लोगों की भावनाओं को भी झकझोरने का प्रयास है, जो वर्षों से जिला बनने की मांग और पर्यटन विकास की आशाओं को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस दर्दनाक लेकिन गंभीर पोस्ट का क्या जवाब देती है और क्या वाकई रानीखेत के विकास की दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं या यह भी चुनावी बहस तक सीमित रह जाएगा।

