
स्थान-हल्द्वानी

हल्द्वानी, भाजपा कुमाऊं संभाग कार्यालय
नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र के सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट ने प्रेस वार्ता में कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए कि पार्टी ने हमेशा संविधान से खिलवाड़ को अपनी परंपरा बनाया है। उन्होंने कहा कि संविधान में 106 बार संशोधन हुए, जिनमें से 80 बार कांग्रेस के शासनकाल में किए गए, जिनका उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना था, न कि राष्ट्रहित।

उन्होंने विशेष रूप से इंदिरा गांधी द्वारा किए गए 42वें संविधान संशोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह संशोधन इतना व्यापक था कि इसे “छोटा संविधान” कहा जाने लगा। इसी संशोधन के जरिए संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ जैसे शब्द जोड़े गए।अजय भट्ट ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान लागू होने के बाद कांग्रेस द्वारा मौलिक अधिकारों को कमजोर करने के हर प्रयास का विरोध किया। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि 1951 में ही पहले संशोधन के जरिए “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” को कमजोर किया गया था।

उन्होंने शाहबानो केस का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को पलटकर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन किया और तुष्टीकरण की राजनीति को प्राथमिकता दी।भट्ट ने यह भी कहा कि इमरजेंसी के दौरान 38वें और 42वें संशोधन में संविधान को इस हद तक बदला गया कि तानाशाही प्रवृत्तियों को संरक्षण मिला। 1976 के 41वें प्रस्तावित संशोधन को लेकर उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री व अन्य उच्च पदस्थ लोगों को आपराधिक मामलों से पूरी तरह से छूट देना था।

अजय भट्ट ने दावा किया कि कांग्रेस ने 1973 में जजों की वरिष्ठता को दरकिनार कर सुप्रीम कोर्ट की स्वायत्तता को भी कमजोर किया, और Article 356 का 50 से अधिक बार दुरुपयोग कर चुनी हुई सरकारों को गिराया।उन्होंने कहा, “जब भी कांग्रेस को सत्ता और संविधान में से किसी एक को चुनना होता है, उन्होंने हमेशा सत्ता को चुना है।”

इसके विपरीत, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान 2003 में 91वें संशोधन के माध्यम से ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की भावना को मजबूत किया गया और दल-बदल विरोधी कानून को प्रभावी बनाया गया।अंत में उन्होंने देशवासियों से संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने की अपील की और कहा कि संविधान की मूल भावना को कोई ताकत नहीं बदल सकती।

