
स्थान:लोहाघाट (चंपावत)
रिपोर्ट: लक्ष्मण बिष्ट
गर्मी का प्रकोप जैसे-जैसे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र में पेयजल संकट भी गहराता जा रहा है। आदर्श जिला कहे जाने वाले चंपावत की यह स्थिति अब जनता के लिए भारी मुसीबत का सबब बन गई है। गांव-गांव में लोग कई किलोमीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं, जबकि सरकार की ओर से शुरू की गई जल जीवन मिशन योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है।

80 फीसदी योजनाएं अधूरी, जनता प्यासी
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र पुनेठा उर्फ राजू भैया ने बताया कि आज क्षेत्र की लगभग 80 प्रतिशत जल जीवन मिशन योजनाएं विभागीय लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं। जिन योजनाओं को दो वर्ष पूर्व ही पूरा हो जाना चाहिए था, वे आज तक अधूरी हैं। कहीं पानी के टैंक नहीं बने, कहीं पाइपलाइनें बिछाई ही नहीं गईं, तो कहीं काम की शुरुआत तक नहीं हुई।

राजू भैया का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी गांव की गलियों में बोर्ड लगाकर योजनाएं “पूर्ण” घोषित कर दी गई हैं, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। छोटे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग—सब पढ़ाई और काम छोड़कर पानी लाने में दिन बिता रहे हैं। पशु भी प्यासे हैं और सरकारी तंत्र मौन है।
धरना-प्रदर्शन भी बेअसर
स्थानीय जनता धरना-प्रदर्शन, गुहार और मांग पत्रों के जरिए विभागीय अधिकारियों और प्रशासन को कई बार आगाह कर चुकी है, लेकिन जल निगम और जल संस्थान के अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों का कहना है कि एक योजना जो कभी जनता के लिए वरदान बननी थी, वह आज अभिशाप बन चुकी है।
मुख्यमंत्री से जांच की मांग

राजू भैया ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इन अधूरी योजनाओं की जांच नहीं करवाई गई तो यह सिर्फ जनता के साथ विश्वासघात होगा। उन्होंने पूरे जिले की जल जीवन मिशन योजनाओं की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है ताकि जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा सके।
अब सवाल यह—कब मिलेगी राहत?
लोहाघाट की जनता अब सरकार और प्रशासन की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है। यह देखना बाकी है कि आखिर कब तक यह प्यासी जनता राहत की सांस ले पाएगी और कब इन योजनाओं का सच्चा लाभ धरातल तक पहुंचेगा।


