नवरात्रि में माँ चंडी देवी मंदिर पर भक्तों का तांता

नवरात्रि में माँ चंडी देवी मंदिर पर भक्तों का तांता

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रिपोट -नरेश तोमर

स्थान -हरिद्वार

हरिद्वार यानि हरि का द्वार और इसके दोनों ओर विशाल पर्वतों पर विराजमान हैं मां भगवती के दो सिद्ध मंदिर. इनमें से एक मनसा देवी मंदिर शिवालिक पर्वत पर है

. दूसरा हरिद्वार के पूर्व में नील पर्वत पर स्थित है मां चंडी देवी का मंदिर. मां चंडी देवी यानि असुरों का संहार करने वाली देवी. देवताओं के प्राणों की रक्षा करने वाली मां चंडी और भगवान राम के प्राण बचाने वाली मां चंडी देवी.मां चंडी देवी के दर्शन: अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मां चंडी देवी का यह मंदिर पुराणों में वर्णित है.

जिस पहाड़ी पर यह मंदिर स्थित है, उसके कण कण में मां का वास बताया जाता है. नवरात्रि में मां के मंदिर में भक्तों का तांता लगा है. भक्त मां चंडी की पूजा आराधना कर रहे हैं और अपनी मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना कर रहे हैं. मान्यता है कि इन दिनों पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

हरिद्वार में नील पर्वत पर है चंडी देवी मंदिर: हरिद्वार का पौराणिक मां चंडी देवी का मंदिर नील पर्वत पर स्थित है. मां का यह मंदिर सिद्ध पीठ है. माना जाता है कि मां भगवती यहां पर अपने रौद्र रूप यानी चंडी रूप में साक्षात विराजती हैं. मां चंडी देवी यहां कैसे आईं, इसकी पुराणों में कई कहानियां हैं. पुराणों के अनुसार जब देवलोक में असुरों का अत्याचार बढ़ने लगा, तो देवताओं ने मां भगवती की स्तुति की. जिसके बाद मां चंडी रूप में एक खंभे को फाड़ कर यहां प्रकट हुईं

और असुरों का संहार कर देवताओं की रक्षा की. मां भगवती ही इस जगत को दैत्यों और दानवों से बचाने के लिए चंडी रूप में अवतरित हुई थीं