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रिपोर्ट:लक्ष्मण बिष्ट
स्थान:लोहाघाट चंपावत
माननीय राज्यपाल, उत्तराखंड, लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) अपने दो दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम के अनुसार दूसरे दिन जनपद के लोहाघाट स्थित स्वामी विवेकानंद नंद की तपोस्थली अद्वैत आश्रम मायावती पहुंचे। मा0 राज्यपाल द्वारा अद्वैत आश्रम मायावती पहुंचे जहां उन्होंने प्राकृतिक सौंदर्य को निहारा।मायावती आश्रम पहुँच कर माननीय राज्यपाल ने कहा कि यहां की प्रकृति तनाव मुक्त करने में मददगार है। उन्होंने कहा कि यह आश्रम देश-विदेश के लोगों को आध्यात्म की ओर आकर्षित करता है, उन्होंने मायावती में संचालित हो रहे धर्मार्थ चिकित्सालय की सेवाओं व सुविधाओं की सराहना की।राज्यपाल ने इसके बाद मायावती आश्रम परिसर का भ्रमण किया और सौंदर्य को निहारा।
उन्होंने कहा कि लोहाघाट की गोद में बसा मायावती आश्रम एक रमणीक स्थान है। उन्होंने कहा कि यह अद्वैत आश्रम स्वामी विवेकानंद की स्वप्न भूमि है, यह आश्रम रामकृष्ण की एक प्राचीन शाखा केंद्र ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के इतिहास में विवेकानंद की भावधारा तथा वेदांत साधना का एक महान केंद्र है। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड और हिमालय के प्रति स्वामी विवेकानंद की असीम आस्था रही। स्वामी जी का ध्यान सिद्ध, हिमालय एवं शिव की भूमि से आत्म संबंध था। उनका देवभूमि उत्तराखंड के प्रति अगाध श्रद्धा थी, वह हिमालय से प्रेम करते थे।
आज हम 125वीं जयंती मना रहे हैं और आगे के 125 वर्ष के लिए बेहतर प्लान करना होगा।उन्होंने कहा कि मायावती आश्रम में मनुष्य को दिव्यता, भव्यता, शुद्धता, पवित्रता की अनुभूति होती है। यह केंद्र धरती के केंद्र को आत्म के केंद्र बिंदु से जोड़कर ब्रह्मांड के केंद्र बिंदु से जोड़ता है। उन्होंने युवाओं से कहा कि सभी को स्वामी विवेकानंद की बातों से प्रेरणा लेनी चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने आश्रम के संस्थापक सेवियर दंपति एवं स्वामी स्वरूपानंद को भी याद किया।उन्होंने कहा कि मायावती आश्रम इतने सुंदर स्थान पर स्थापित है कि यहां पर आकर अलग ही आध्यात्मिक और मस्तिष्क में एक अलग ही शांति की अनुभूति मिलती है। अद्वैत मायावती आश्रम ऐसा स्थान है
जहां पर खड़े होकर 350 किलोमीटर का हिमालय दर्शन इसी स्थान में खड़े रहकर कर सकते हैं।उन्होंने बाद में ध्यान कक्ष में ध्यान लगाया और कहा की ध्यान वाला स्थान चमत्कारिक है, जहाँ मस्तिष्क में एक अलग ही शांति की अनुभूति होती है। उन्होंने कहा की स्वामी विवेकानंद द्वारा मायावती आश्रम में आकर 15 दिनों तक ध्यान और साधना की। उन्होंने कहा की सभी को स्वामी जी की सोच, विचार, धारणा, उनके सिद्धांत और मार्गदर्शन पूरे विश्व में ले जाना होगा। उनका संदेश ब्रह्मांड, भारतीयता, भारत वर्ष और मानवता के बारे में वह इतना गहरा है कि उसकी आज एक अलग ही जरूरत दिखाई देती है। वास्तविकता में इस स्थान पर जो सकारात्मक तरंगें हैं वह अपने में एक अलग ही अनुभूति देते हैं। यदि कोई भी ओम की शक्ति को जानना या उसको महसूस करना चाहते हैं और उनके ध्यान का लुत्फ लेना है
तो यह एक मात्र स्थान है।उन्होंने कहा कि मैं पूरे भारत के साथ-साथ पूरे विश्व को यह बताना चाहता हूं कि अगर किसी को भी जानना है कि मानवता, आध्यात्मिकता, साधना, वैदिक योग क्या होते हैं तो वह एक बार जरूर चम्पावत के मायावती आश्रम आए। इस स्थान पर ध्यान लगाने से हम उस दिशा में जा सके है जहां पर एकजुटता है, इंटीग्रेशन, मानवता, प्रकृति और बुद्धि की पूजा की जाती है।राज्यपाल ने धर्मार्थ चिकित्सालय के अध्यक्ष स्वामी शुद्धिदानंद से आश्रम के सम्बंध में जानकारी ली।
स्वामी जी द्वारा मा.राज्यपाल को मायावती के इतिहास से अवगत कराया, बताया कि 1901 में स्वामी विवेकानंद यहां आए थे, उन्होंने यहां पर एक सप्ताह तक प्रवास किया था। स्वामी शुद्धिदानंद ने माननीय राज्यपाल को बताया कि समय-समय पर यहां निशुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं, जहाँ सैकड़ों मरीजों का उपचार व ऑपरेशन बेहतर और विदेशी डॉक्टरों द्वारा किए जाते हैं।इस अवसर पर माननीय राज्यपाल एवं अन्य अतिथियों द्वारा इंटरनल वैल्यूज फॉर ए चेंजिंग सोसाइटी* तथा आश्रम के 125 वर्षों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित फोटो एल्बम पुस्तकों* का विमोचन किया।