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रिपोट -संजय कुंवर,
स्थान- बद्रीनाथ धाम, स्थान
धरती पर आठवें भू बैकुंठ धाम श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होनें की वैदिक प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरणों में है। धाम के कपाट बंद होने के अब महज दो दिनों का समय बाकी है।
वृहस्पतिवार 16 नवंबर को बदरीनाथ मंदिर की पौराणिक परंपराओं के निर्वाहन के तहत पंच पूजा के तीसरे दिन प्रातः काल से ही धर्माधिकारी राधा कृष्ण भट्ट की अगुवाई में गर्भ गृह में वेद पुस्तकों, ऋचा ग्रंथों (खडग पुस्तक) का विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।
जो सांय तक चलेगी इसके बाद आज सांय काल में ही सभी धार्मिक ग्रंथों के साथ वेद ऋचाओं को बंद कर दिया गया, अब इन वेद पुस्तकों का वाचन मंदिर में कपाट खुलनें पर ही होगा।
आज बृहस्पतिवार से धाम के कपाट बंद होने तक के बचे दो दिनों में वेद ऋचाओं के वाचन की गुंज भू बैकुंठ नगरी श्री बदरीनाथ धाम के नर नारायण और गंध मादन पर्वत की फिजाओं में नहीं गूजेंगी।