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रिपोटर – ब्यूरो रिपोट
स्थान – अल्मोड़ा
प्रदेश में लगातार सरकारी स्कूलों में ताले लटक रहे हैं। पहाड़ से लेकर मैदान तक सैकड़ों सरकारी स्कूलों में अब तक ताला लग चुका है। अल्मोड़ा जिले में राज्य गठने के बाद से अब तक 244 विद्यालय बंद हो चुके हैं। जबकि चंपावत में बीते चार सालों में 19 स्कूल बंद हो चुके हैं। जबकि पिथौरागड़ जिले में अब तक शून्य छात्र संख्या के कारण 30 स्कूल बंद हो चुके हैं।
लगातार बंद हो रहे उत्तराखंड के सरकारी स्कूल
उत्तराखंड के पहाड़ पहले से ही पलायन की मार झेल रहे हैं। बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं और परिवहन सुविधाओं की आस लोगों को पलायन करने पर मजबूर कर रही है। इसी का परिणाम है कि अब प्रदेश के सैकड़ों सराकरी स्कूलों में ताला लटक चुका है। बेहतर शिक्षा की चाह में लोग या तो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं या फिर गांव को छोड़ शहरों का रूख कर रहे हैं।
अल्मोड़ा में राज्य गठन के बाद 244 स्कूल बंद
अल्मोड़ा जिले में करोड़ों रूपए खर्च होने के बाद भी स्कूलों के बंद होने का सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है। राज्य गठन के बाद से अब तक जिले के 244 सरकारी स्कूलों पर ताला लटक चुका है। छात्र संख्या शून्य होने पर जिले के इन प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूलों को बंद कर दिया गया है।
अल्मोड़ा जिले में इस साल 37 स्कूल हुए बंद
बता दें कि अल्मोड़ा जिले में इस साल अब तक 37 स्कूलों को बंद किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक जिले में राज्य गठन के समय 1659 प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल संचालित किए जाते थे। छात्र संख्या शून्य होने के कारण 244 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
लगातार वीरान हो रहे सरकारी स्कूल इस बात का प्रमाण है कि पहाड़ों पर शिक्षा व्यवस्था के किए जाने वाले दावों में कितनी सच्चाई है। जिले में वर्तमान में संचालित 1378 स्कूलों में 23,000 बच्चे पढ़ रहे हैं। बता दें कि जिले के 335 प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल ऐसे हैं जहां पर बच्चों की संख्या 10 से भी कम है।
चंपावत में मात्र चार सालों में बंद हुए 19 स्कूल
प्रदेश के सभी पहाड़ी जिलों में सरकारी स्कूल का हाल एक जैसा है। चंपावत जिले में बीते चार सालों में 19 सराकरी स्कूल बंद हो चुके हैं। स्कूलों के बंद होने का प्रमुख कारण बच्चों की संख्या में कमी और गांवों से हो रहा पलायन बताया जा रहा है।साल 2020 से लेकर अब तक जिले में 17 प्राथमिक स्कूल और एक राजकीय माध्यमिक स्कूल बंद हो चुका है। बता दें कि इनमें से 10 स्कूल शिक्षा सत्र 2023-24 में ही बंद हुए हैं।
पिथौरागढ़ में शून्य छात्र संख्या के कारण 30 स्कूल बंद
प्रदेश के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में शून्य छात्र संख्या के कारण अब तक 30 स्कूल बंद हो चुके हैं। जिसमें 27 प्राथमिक विद्यालय और तीन उच्चतर प्राथमिक विद्यालय हैं। पिथौरागढ़ में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बच्चों के सरकारी स्कूलों से जाने का बड़ा कारण बताया जा रहा है। शिक्षक ना होने के कारण बच्चे सरकारी स्कूलों से निजी स्कूलों का रूख कर रहे हैं।