भाजपा से निष्कासित किये जाने के बाद कहाँ जायेंगे हरक सिंह रावत, पढ़ें पूरी ख़बर

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ब्यूरो रिपोर्ट

स्थान- देहरादून

उत्तराखंड सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह रावत भाजपा से निष्कासित किये जाने के बाद अब एक नए विकल्प की तलाश में जुट गये हैं | हालांकि उनके पास अभी भी कांग्रेस में शमिल होने का एक आसन विकल्प है लेकिन फिर भी वह सपा और आम आदमी पार्टी के साथ भी जा सकते हैं |

 वहीं हरक सिंह रावत पर यह भी कयास लगाए जा रहें हैं कि वह 6 साल बाद कांग्रेस पार्टी यानि की घर वापसी भी कर सकते हैं | लेकिन हरक सिंह रावत के लिए यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि 6 साल पहले हरक सिंह ने जो पार्टी के 9 विधायकों के साथ चाल चली थी उसका असर अब उनकी घर वापसी में अडचने डाल सकती है |

  6 साल पहले की बात करें तो हरक सिंह रावत ने 18 मार्च 2016 को हरीश रावत की सरकार में पार्टी के 9 विधायक जिनमे हरक सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही, उन्होंने पार्टी से बगावत कर ली | बगावत इतनी बढ़ी की मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा | यहाँ तक कि हरीश रावत की सरकार को हटाकर राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया था | मामला कोर्ट में पहुँचने के बाद हरीश रावत की सरकार तो लौट आई लेकिन हरक सिंह रावत सहित सभी बागियों ने भाजपा पार्टी की सदस्यता ले ली |

  जिसके बाद 2017 में हरक सिंह रावत को कोटद्वार से टिकट मिला और वह वहां के विधायक भी बने | फिर वह कैबिनेट मंत्री भी बने | लेकिन भाजपा में आने के बाद भी कई बार त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके मतभेद चलते रहे | धामी की सरकार आने के बाद उनकी बगावत कम नहीं हुई | जिसके बाद हरक सिंह रावत ने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज को मान्यता नहीं दिए जाने के आरोप में कैबिनेट बैठक में अपना इस्तीफा सौंप दियता था लेकिन बाद में भाजपा उन्हें मनाने में कामयाब रही |

  हरक सिंह रावत का भाजपा से निष्कासित होने का सबसे बड़ा कारण उनका बगावती सुर तेज होना बताया जा रहा है | हरक सिंह रावत विधानसभा चुनाव के लिए तीन टिकट की मांग कर रहे थे | एक अपने लिए, दूसरा अपनी बहु के लिए और तीसरा अपने रिश्तेदार के लिए | लेकिन भाजपा इस बार सिर्फ एक परिवार से एक टिकट के फोर्मुले पर अड़ी थी | जिसके बाद हरक ने पार्टी की बैठकों में शामिल होना भी बंद कर दिया। बताया जा रहा है कि पार्टी नहीं चाहती थी कि जिस तरह से टिकट कटने के डर से उत्तर प्रदेश में मंत्री और विधायकों ने पार्टी छोड़ी, वह हाल उत्तराखंड में भी हो। इसलिए हरक सिंह रावत खुद इस्तीफा दें,  इससे पहले पार्टी ने खुद उन्हें निलंबित कर दिया।