किसानों के सामने आया बड़ा संकट, पढ़े पूरी खबर

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रिपोर्ट- पंकज

स्थान- हल्द्वानी

हल्द्वानी के गौलापार का टमाटर उत्तर भारत की मंडियों में धूम तो मचाता ही है साथ ही पाकिस्तान तक निर्यात किया जाता है। पिछले दिनों हुई भारी बारिश से टमाटर पूरी तरह बर्बाद हो चुका है, जिससे किसान की असल पैदावार में लगी रासायनिक खादों, दवाईयों और मेहनत मजदूरी तक नही निकल पा रही है। किसानों की माने तो भारी बारिश से फसल तबाह हो चुकी है, दूसरी तरफ भारी बारिश के चलते नहरें भी क्षतिग्रस्त हो गई है जिससे सिंचाई का संकट भी गहरा गया है।

हालांकि पहले टमाटर की फसल की पैदावार बहुत अच्छी थी भारी बारिश के चलते जो तबाही आई उससे फसले बह गई हैं, अब संकट सिचाई औऱ पेयजल का है, यदि गौलापार का टमाटर बाजार में आता तो टमाटर की कीमत कम होती लेकिन अभी बाजार में टमाटर 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।

तरुण बंसल, अधिशासी अभियंता, सिचाई खण्ड हल्द्वानी

आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत में बजट की कमी आड़े आ रही है, करीब 13 करोड़ का बजट सिचाई की नहरों की मरम्मत के लिये चाहिए, सिचाई खण्ड हल्द्वानी के गौलापार इलाके में सिचाई की नहरों को बड़ा नुकसान पहुंचा है, जिससे सिंचाई का संकट गहरा गया है,

नरेंद्र मेहरा, काश्तकार

 सिंचाई संकट के चलते तैयार होने के कगार पर खडी फसल भी बर्बाद हो गयी है, टमाटर की फसल भी तबाह हो चुकी है, अधिशासी अभियंता के मुताबिक़ करीब 28 नहरों को ठीक किया जा चुका है, अब विभाग को बजट का इंतजार है, जिसके लिए शासन को अवगत कराया जा चुका है,

नन्हे लाल कश्यप, मजदूर

जैसे ही बजट प्राप्त होगा नहरो की मरम्मत का काम शुरू कर दिया जायेगा, वैकल्पिक सिंचाई की व्यवस्था के लिये 15 दिन पहले सिंचाई की नहरों का ट्रायल हुआ था लेकिन नहरों के संचालन में कामयाबी नही मिल पाई,  गौलापार में गौला नदी से सिचाई के लिये पानी जाता है जो सिंचाई का एकमात्र साधन है।

गौलापार इलाके में अभी सिंचाई का कोई वैकल्पिक साधन नहीं है, अब विभाग की नज़रें बजट के आवंटन पर टिकी है, गौलापार इलाके में अभी टमाटर के अलावा धान औऱ अन्य फसलें तैयार होने की कगार पर खड़ी है, यदि समय रहते नहरों की मरम्मत का काम पूरा नहीं हुआ तो सिंचाई के इंतजार में फसलें बर्बाद हो जायेंगी जिसका काश्तकारों को बड़े पैमाने पर नुकसान होना तय है |