ऑपरेशन कालनेमि: जब देवभूमि ने पाखंड के खिलाफ खोला मोर्चा

ऑपरेशन कालनेमि: जब देवभूमि ने पाखंड के खिलाफ खोला मोर्चा

रिपोर्टर : अज़हर मलिक

“देवभूमि उत्तराखंड अब ढोंगियों की शरणस्थली नहीं रहेगी।”
यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से — उन नकाबपोशों के लिए जो साधु की पोशाक में जनता की आस्था को ठगने का दुस्साहस कर रहे हैं।

उत्तराखंड — जहां गंगा कलकल करती है, शिव के डमरू की गूंज हर घाटी में महसूस होती है, और जहां हर पत्थर में देवत्व बसता है — अब वही भूमि कुछ समय से पाखंडियों के निशाने पर थी। मगर अब हालात बदल चुके हैं।

क्या है “ऑपरेशन कालनेमि”?

मुख्यमंत्री धामी द्वारा शुरू किया गया “ऑपरेशन कालनेमि” एक ऐसा विशेष अभियान है, जिसका उद्देश्य है धार्मिक वेशभूषा की आड़ में अपराध और ठगी करने वाले फर्जी बाबाओं को बेनकाब करना

इसका नाम लिया गया है रामायण के असुर ‘कालनेमि’ से — जो साधु का वेश धारण कर हनुमान जी को धोखा देने निकला था। लेकिन जैसा उस असुर का अंत हुआ, वैसा ही अब इन कलियुगी कालनेमियों की भी परिणति निश्चित है।


25 से अधिक ढोंगी पकड़े गए, कईयों का आपराधिक रिकॉर्ड उजागर

अभियान की शुरुआत के बाद से देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, टिहरी जैसे इलाकों में अब तक 25 से अधिक फर्जी साधुओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है।

  • कुछ के पास कोई पहचान पत्र नहीं
  • कई पुराने आपराधिक मामलों में वांछित
  • कुछ नशा और ठगी में लिप्त पाए गए

इनमें से अधिकांश बाहरी राज्य के निवासी हैं जो यहां साधु वेश धारण कर लोगों को गुमराह कर रहे थे।


संत समाज का समर्थन, जनता में जागरूकता

देवभूमि रक्षा अभियान के संस्थापक स्वामी दर्शन भारती कहते हैं –

“यह सिर्फ पुलिसिया कार्रवाई नहीं, यह धार्मिक चेतना का जागरण है। हम सरकार के इस निर्णय का पूर्ण समर्थन करते हैं।”

स्थानीय संत समाज और तीर्थ क्षेत्रों में कार्यरत पुजारियों ने भी अभियान को धर्म की रक्षा की दिशा में साहसिक पहल बताया है।


सरकार का संदेश स्पष्ट है — आस्था से छल नहीं चलेगा

मुख्यमंत्री धामी ने प्रशासन को सख्त निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी फर्जी साधुओं की पहचान कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए और कड़ी कानूनी कार्रवाई हो।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी निर्दोष श्रद्धालु या वास्तविक संत को परेशान न किया जाए, लेकिन धोखा देने वालों के लिए अब उत्तराखंड में कोई जगह नहीं


यह सिर्फ ऑपरेशन नहीं, देवभूमि की आत्मा की रक्षा है

“ऑपरेशन कालनेमि” केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है।
यह वह नैतिक प्रतिरोध है जो संदेश देता है कि:

“उत्तराखंड की पवित्रता अब किसी नकली चोले के आगे झुकेगी नहीं।”
“यहां साधु का चोला पहनकर पाप की दुकान नहीं चल सकती।”


निष्कर्ष

“ऑपरेशन कालनेमि” एक चेतावनी है — न केवल ढोंगियों के लिए, बल्कि समाज को भी यह सोचने पर विवश करता है कि आस्था अंधी नहीं होती, और विश्वास की रक्षा करना सरकार और जनता दोनों की जिम्मेदारी है

यह अभियान उत्तराखंड के सांस्कृतिक स्वाभिमान की पुनर्स्थापना है — और यह शुरूआत है एक “पवित्र, सुरक्षित और सच्चे श्रद्धा-स्थल” की ओर।