लोहाघाट में जल संस्थान की लापरवाही से ग्रामीणों पर खतरा, पेयजल लाइन की खुली नालियों से हो रहे हादसे

लोहाघाट में जल संस्थान की लापरवाही से ग्रामीणों पर खतरा, पेयजल लाइन की खुली नालियों से हो रहे हादसे

स्थान : लोहाघाट ( चंपावत)
रिपोर्ट : लक्ष्मण बिष्ट


हर घर नल, हर घर जल योजना के अंतर्गत लोहाघाट के सुई गांव में जल संस्थान द्वारा डाली गई पेयजल पाइपलाइन अब ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बनती जा रही है। जल संस्थान की लापरवाही के चलते चनकांडे तोक में खोदी गई गहरी नालियां आज भी खुली पड़ी हैं, जिससे गांव की महिलाओं और बुजुर्गों को खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

खुली नालियों में गिरकर घायल हो चुकी हैं महिलाएं

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश पांडे ने बताया कि जल संस्थान ने पाइपलाइन बिछाने के लिए उनके खेतों के किनारे तीन से चार फीट गहरी नालियां खोदी थीं। कार्य पूरा होने के बाद भी इन नालियों को भरने की जहमत नहीं उठाई गई, जिससे अब तक तीन से अधिक महिलाएं गिरकर चोटिल हो चुकी हैं

घास जमने से नहीं दिख रही नालियां, बड़ा हादसा कभी भी संभव

कैलाश पांडे ने बताया कि अब इन गहरी नालियों पर घास उग चुकी है, जिससे ये दिखाई नहीं देतीं और घास काटने जा रहीं महिलाओं के लिए जानलेवा खतरा बन गई हैं। उन्होंने कहा कि छह महीने बीतने के बाद भी विभाग ने इन नालियों को नहीं भरा है, जबकि यह जल संस्थान की जिम्मेदारी बनती है।

अधिकारियों को दी गई जानकारी, फिर भी नहीं हुई कोई कार्रवाई

पांडे ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार जल संस्थान के अभियंताओं को मामले से अवगत कराया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इन नालियों को तत्काल भरा जाए, अन्यथा किसी भी दुर्घटना के लिए जल संस्थान जिम्मेदार होगा।

ग्रामीणों में आक्रोश, प्रशासन से कार्रवाई की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द कार्यवाही नहीं हुई तो वे जल संस्थान के खिलाफ आंदोलन शुरू करेंगे। इस मामले ने विभागीय कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं और ग्रामीणों की सुरक्षा को नजरअंदाज करने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

“हमने कई बार शिकायत की है लेकिन विभाग कान में तेल डाले बैठा है। अगर कोई हादसा हुआ तो हम जल संस्थान को ज़िम्मेदार ठहराएंगे।”


नोट: यह मामला जल संस्थान की लापरवाही का उदाहरण बन गया है, जहां सरकारी योजनाएं तो शुरू होती हैं, लेकिन सुरक्षा और ज़मीनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज कर दिया जाता है।