
रिपोर्टर-सचिन कुमार
लोकेशन-देहरादून
उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड संशोधन को लेकर राजनीतिक तापमान चढ़ा हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कहा है कि, “राज्य में वक्फ की एक-एक इंच भूमि की धार्मिक छेड़छाड़ किए बिना जांच और देखभाल की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का पारदर्शी उपयोग कर गरीब, पसमांदा वर्ग और मुस्लिम महिलाओं के कल्याण को सुनिश्चित करना है।


वहीं वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि, “वक्फ बोर्ड में जो बदलाव आए हैं, वे पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया और जिलाधिकारी स्तर की जांच के बाद ही लागू होंगे। किसी संपत्ति को तभी वक्फ में दर्ज किया जाएगा जब यह प्रमाणित हो कि उस पर कोई विवाद नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर प्रदेश में भ्रम फैला रही है।

भाजपा ने वक्फ संशोधन को लेकर प्रदेश भर में कार्यशालाएं शुरू कर दी हैं, जिनके माध्यम से मुस्लिम समुदाय को वक्फ संपत्तियों से मिलने वाले लाभों की जानकारी दी जा रही है।

दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी ने इस संशोधन पर सवाल उठाते हुए इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों से खिलवाड़ बताया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के बजाय सामुदायिक भलाई के लिए हो।

वक्फ संशोधन से जुड़ी मुख्य बातें:
- जांच अनिवार्य: किसी भी संपत्ति को वक्फ में दर्ज करने से पहले जिलाधिकारी की रिपोर्ट आवश्यक होगी।
- कल्याणकारी उपयोग: संपत्तियों का उपयोग गरीब और पसमांदा मुस्लिम समाज के लिए किया जाएगा।
- राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप: भाजपा जहां इसे पारदर्शिता की दिशा में कदम बता रही है, वहीं कांग्रेस इस पर संदेह और विरोध जता रही है।

