स्थान। नैनीताल।
रिपोर्ट। ललित जोशी / हर्षित जोशी
सरोवर नगरी नैनीताल व उसके आसपास में जहां आजकल सब पिर्टेन्ट सामग्री बाजारों में उपलब्ध है वही भीमताल केंचुला संगम समिति के तत्वावधान में महिलाओं द्वारा रंगोली पिछोड़ि ओड़कर गेरुवा व चावल को पीसकर विस्वार बना कर चोक लेखन कर आने वाले पीढ़ियों को संकेत दिया है।
उनका मानना है कि कई वर्षों से यह परंपरा ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों में भी देखने को मिलती थी।
पर अब सब पिर्टेन्ट सामग्री लाकर लगा देते हैं।
कई महिलाओं का यह भी कहना है जो शुद्वि गेरुवा व विस्वार बनाकर देहली, मंदिर आदि चोक लिखे जाते थे वह शुद्वि पिर्टेन्ट सामग्री में नही है। उन्होंने सभी से अपील की है यह परंपरा को बनाये रखें इसे लुप्त न होने दे। आज भी कई संस्थाओं द्वारा ऐपण आदि का अभ्यास करवाते हैं पर बहुत कम ऐसी संस्था है जो पुरानी परंपरा को जीवित रखी हुई है।
आज अधिकांश लोग रंगों से देहली ,चोक, मंदिर आदि लिखते हैं । बहुत कम लोग गेरुवा व विस्वार से लिखते होंगे।
इस मौके पर हंसा जोशी,तनुजा, बेषनवी, श्रया, निधि साह,हेमा नेगी चित्रा गोस्वामी, मीना बिष्ट,जानकी,जितेंद्र बिष्ट,प्राची नेगी,निशा समेत कई लोग मौजूद रहे।