देहरादून,
उत्तराखंड राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कुछ अधिकारियों की लापरवाही और गलत कार्यप्रणाली के कारण विभाग के सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं। यह अधिकारी अब तक अपनी लापरवाही के बावजूद विभाग में उच्च पदों पर आसीन हैं और उन पर कार्रवाई के लिए हो रहे विलंब के कारण वे खुद को विभाग का खेवनहार मानने लगे हैं। सूत्रों के अनुसार, कई अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट तक जारी की जा चुकी है, लेकिन वे फिर भी अपनी स्थिति का भरपूर लाभ उठा रहे हैं और चल रही जांचों को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के भीतर कई ऐसे अधिकारी हैं,
जो अपनी कार्यप्रणाली और निर्णयों के लिए विवादों में रहे हैं। हालांकि, जब उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हुई, तो वह समय पर पूरी नहीं हो पाई। उच्च अधिकारियों द्वारा जारी किए गए नोटिस के बावजूद, उन पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सूत्रों का कहना है कि यदि स्वास्थ्य विभाग में कार्रवाई के लिए जारी किए गए पत्रों और आदेशों पर त्वरित एक्शन लिया जाता, तो कई अधिकारी अब तक अपने पदों से हटा दिए गए होते।
यह स्थिति विभाग के कामकाज और उसकी विश्वसनीयता को प्रभावित कर रही है। अधिकारियों का यह रवैया, जिसमें वे अपनी लापरवाह कार्यशैली को देखते हुए भी कार्यवाही के डर से बेफिक्र रहते हैं, विभाग के अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए भी नकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत करता है। जांच में विलंब और कार्रवाई में ढिलाई से यह संदेश जा रहा है कि यदि कोई उच्च पदों पर आसीन है, तो वह अपनी गलतियों के बावजूद बच सकता है।
राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से अब यह उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले में सख्त कदम उठाएं और इन अधिकारियों पर कार्रवाई को तत्काल अमल में लाएं। अगर समय रहते इन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह न केवल विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य और विभाग की कार्यकुशलता पर भी सवाल उठने लगेंगे। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य विभाग के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कार्रवाई में देरी से सिस्टम में सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि उच्च अधिकारी इस मामले पर कब गंभीरता से विचार करते हैं और कार्रवाई को गति देते हैं।