संविधान सम्मान संयुक्त मंच के बैनर तले अनेकों संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करते हुए धरना दिया गया

संविधान सम्मान संयुक्त मंच के बैनर तले अनेकों संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करते हुए धरना दिया गया

हल्द्वानी

हल्द्वानी 4 अगस्त 2024 को संविधान सम्मान संयुक्त मंच के बैनर तले अनेकों संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करते हुए धरना दिया गया धरने की अध्यक्षता जी आर टम्टा ने की संचालन गंगा प्रसाद जी ने किया धरने के बाद एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति महोदया को प्रेषित किया!
संविधान की उद्देशिका से धरने की शुरुआत की गई
वक्ताओं ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अति निंदनीय फैसले संविधान पर कुठाराघात किया जा रहा है अब हम नागरिकों की ज़िम्मेदारी बनती है की संविधान का सम्मान और रक्षा के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन करें. ज्ञापन में लिखा गया है कि 75 सालों में पहली बार सांसद में अधिकतर सांसदों ने संविधान की शपथ ग्रहण करते समय भारतीय ग्रन्थ “भारत के संविधान” को लहराया था जो कि 2024 से पहले कभी नहीं किया गया. भारतीय ग्रंथ को लहराने से भाजपा बैकफुट पर आती नज़र आई. इसका राजनीतिक तोड़ निकलते हुए 25 जून 1975 को इंद्रागाँधी ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए आपातकाल लगाया था उस दिन को “संविधान हत्या दिवस के रूप में मानाने का जो निर्णय लिया है वो भाजपा की उस मानसिकता को दर्शाता है जो कि लोकसभा 400 पार सीटें आने पर संविधान बदलने के लिए खुलेआम मंचों से चुनाव प्रचार के दौरान कहा जा रहा था वहीँ उत्तराखंड सरकार ने भी केंद्र के इस निर्णय का स्वागत किया है जिससे यह साबित होता है कि पूरी भाजपा संविधान विरोधी है यदि भाजपा यह मानती है कि 25 जून 1975 को संविधान की हत्या हो गई थी तो वो यह भी बताएं कि संविधान जीवित कब हुआ? और अगर हत्या हो गई थी तो 1975 से 2024 तक कौनसे संविधान की शपथ ग्रहण करके सत्ता की मलाई चाटी जा रही थी! 1975 के बाद से बहुत सी सरकारें आई और चली गईं परन्तु इतना घृणित विचार किसी भी राजनीतिक दल के मन में नहीं आया!

आपातकाल का प्रावधान संविधान की धारा 352, और 358 में स्पष्ट है इसलिए संविधान की हत्या जैसा शब्द जोड़ना भाजपा मंडली के अलावा भारत के किसी भी नागरिक को गवारा नहीं हो सकता. संविधान के साथ हत्या जैसा शब्द का प्रयोग करना न किसी अम्बेडकरवादी विचारधारा के लोगों को बल्कि किसी भी भारतीय को गवारा नहीं हो सकता. केंद्र सरकार के अति निंदनीय फैसले का विरोध तथा बहुजन समाज के संवैधानिक हितों पर कुठाराघात करने वाली सरकार द्वारा हत्या जैसे शब्द का न सिर्फ अम्बेडकरवादी समाज बल्कि सम्पूर्ण भारत के नागरिक विरोध करते हैँ

तथा भाजपा के इस फैसले को तुरंत वापस लिए जाने की मांग करते हैँ. अन्यथा भारत के सभी संगठनों को एकत्र कर संवैधानिक तरीके से आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा. महोदया से विनम्र निवेदन है कि भाजपा सरकार द्वारा संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के फैसले पर अति शीघ्र संज्ञान लेते हुए निरस्त करवाने के आदेश पारित करने की कृपा करें, समस्त भारतवासी आपके सदा आभारी रहेंगे.