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रिपोट -संजय जोशी
स्थान -हल्द्वानी
आर्य समाज हल्द्वानी का 133 वां वार्षिकोत्सव सनातन धर्म की रक्षा एवं राष्ट्र रक्षा के संकल्प के साथ आज संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं कालाढूंगी के वर्तमान विधायक श्री बंशीधर भगत जी ने आर्य समाज को अपनी मां कहते हुए कहा कि मैं अगले वर्ष आने से पहले कम से कम दो परिवारों को आर्य समाज से जोड़ूंगा,उन्हें आर्य बनाकर लाऊंगा क्योंकि आर्य समाज ही वह संस्था है जो “माता भूमि: पुत्रोअहम् पृथिव्या:” उद्घोष करते हुए राष्ट्र को अपनी मां मानती है और मानव मात्र के कल्याण को अपना उद्देश्य मानती है ।

आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने ” कृण्वन्तो विश्वमार्यम्” का उद्घोष किया था, इसका उद्देश्य यही था कि पूरे विश्व में ईश्वर द्वारा स्थापित सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार हो एवं जिस प्रकार श्रीराम चन्द्र आर्य थे, श्री कृष्ण जी आर्य थे और देश का नाम भी आर्यावर्त था वैसे आर्यावर्त का निर्माण हो और मानवता बचे, इसके लिए आर्य समाज संस्था को सभी प्रकार का सहयोग देते हुए सनातन की रक्षा करनी चाहिए, इस अवसर पर माननीय बंशीधर भगत जी नेत्रदान की भी घोषणा की। वार्षिकोत्सव में वैदिक विद्वान के रूप में पधारे डॉ वेदपाल आचार्य जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतवर्ष ऋषियों का देश है, महापुरुषों का देश है,चक्रवर्ती राजाओं का देश है,

धनुर्धरों का देश है ,वीर वीरांगनाओं का देश है इस देश की संस्कृति सबसे प्राचीन एवं गौरवशाली है, विश्व के देशों ने भारत से सदैव मानवता की शिक्षा प्राप्त की है वही भारतवर्ष पुनः विश्व गुरु तभी बनेगा जब हर घर में वेद का उपदेश होगा, रामायण की कथा होगी, गीता का संदेश दिया जाएगा। इस कार्यक्रम में अमृतसर से पधारे हुए अंतर्राष्ट्रीय भजननोपदेशक पंडित दिनेश पथिक जी ने सुमधुर भजनों से सभी के मन को आकर्षित किया, प्रभु भक्ति, देश भक्ति एवं मानव निर्माण से ओतप्रोत भजनों को प्रस्तुत किया । आर्यप्रतिनिधि सभा उत्तराखंड के प्रधान श्री डी पी यादव ने कहा कि आर्य समाज का उद्देश्य हर व्यक्ति को धार्मिक आध्यात्मिक बनने के साथ-साथ राष्ट्रभक्त बनाना है विद्यार्थियों का निर्माण हो या गृहस्थियों का संस्कार संपन्न परिवार , या वानप्रस्थ और संन्यास की परंपरा इन सबको आर्य समाज पोषित करता है ।हल्द्वानी आर्य समाज के प्रधान प्रोफेसर विनय विद्यालंकार ने कार्यक्रम के अंत में कुछ संकल्प करवाए जिनमें प्रथम संकल्प था कि प्रत्येक परिवार में सभी सदस्यों को प्रतिदिन न्यूनतम 1 घंटे एक साथ बैठकर अपनी संस्कृति, सनातन धर्म के विचार और महापुरुषों के जीवन पर चर्चा करनी ही चाहिए

तथा सनातन की रक्षा के लिए संकल्प लेते हुए अपने परिवारों को संस्कारवान बनाना आवश्यक है, दूसरा संकल्प करवाया कि सभी सनातनी सनातन धर्मी लोगों को एकजुट होकर सामाजिक शक्ति का विकास करना चाहिए। तीसरा संकल्प सभी परिवारों में सन्ध्या, हवन व भजन -कीर्तन की परम्परा पुनः प्रचलित करनी होगी।आज के कार्यक्रम में सरदार हरजीत सिंह सच्चर जी ने नेत्रदान महादान पर सभी को संकल्प दिलवाया की हम सभी को एक दिन संसार से जाना है तो क्यों किसी नेत्रहीन को दृष्टि देकर जाएं इसलिए सभी अपने नेत्रों को दान करने का संकल्प लें। माता कांता विनायक जी ने भी नेत्रदान पर भावुक अपील की। आज यज्ञ की पूर्णाहुति हुई जिसमें 11 यज्ञ बम्वेदियों पर 40 दम्पतियों ने यजमान के रूप में भाग लिया। मुख्य यजमानों में डॉ विनय विद्यालंकार, डॉ वर्षा चौधरी, प्रोफेसर (डॉ) विनय खुल्लर एवं ममता खुल्लर,आयकर अधिकारी अवधेश मलिक व आस्था मलिक, श्री एस पी सिंह व कमलजीत कौर, डॉ अतुल राजपाल व डॉ गुंजन राजपाल, अविनाश सेठी व उपमा सेठी, सोबरन शर्मा व ढालकुमारी शर्मा, नवीन् थरेजा, अनुजकान्त खण्डेलवाल, मुनेश कुमार सिंह, अमित भारद्वाज, आदि रहे। यज्ञ में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती रेनू अधिकारी भी सम्मिलित हुईं।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अरविन्द मलिक ने सन्यासी मंडल का स्वागत किया, केन्द्रीय मन्त्री श्री अजयभट्ट जी के पुत्र श्री दिग्विजय भट्ट, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश मीडिया प्रभारी श्रीमती विजयलक्ष्मी चौहान, पूर्व प्रदेश मन्त्री भाजयुमो शंकर कोरंगा, वर्तमान भाजयुमो अध्यक्ष कार्तिक हर्बोला, श्री यमुनादत्त बेलवाल, जयन्ती बोरा, रेखा नेगी, सुनील विनायक, राजकुमार राजौरिया, आचार्य विनोद कुमार, सन्तोष भट्ट, उमेश तिवारी, सुरेश तिवारी, प्रकाश डिफेंस अकेडमी के निदेशक कैप्टन प्रकाश जोशी, ललित जोशी उनके बीस कैडेट्स के साथ साथ अनेक व्यक्तियों ने विशेष सहयोग दिया एवं सैकड़ों नर-नारियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।

