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रिपोर्ट- दीपक नौटियाल
स्थान – उत्तरकाशी
सिल्क्यारा टनल मे हुए भुस्खल से 40 जिन्दगी टनल के अन्दर फंसी है जिनको बचाने के लिए रेस्क्यु आपरेशन युद्ध स्तर पर जारी है 7दिन बीत जाने के बाद भी रेस्क्यु अभियान मे कुछ न कुछ बाधाएं उत्पन्न हो रही है पहले मेनुवल तरीके से मिट्टी हटाने का कार्य किया गया तो बहां पर ओर भी ज्यादा मलवा आ गया आनान फानन मे जल निगम की आगर डिरीलिंग मशीन लाई गयी वहा भी तकनीकी कारणों से बन्द हो गयी उसके बाद अमेरिकन आगर डिरिलिंग मशीन बुलाई गयी
जिससे कि 900 एम एम के पाइपों के जरिए मजदूरों तक पहुंचने का प्रयास किया गया पर मात्र 22 मीटर पाईप विछाने के बाद कल इस मशीन के कटर मे भी तकनीकी खराबी आ गयी आनन फानन मे इंदौर से नयी मशीन मंगवाईं गयी है जोकि थोडी देर मे एयर फोर्स के विमानों के द्वारा चिन्यालीसौड़ मे एयर लिप्ट की जायेगी पर टनल में फंसे मजदूर अभी भी स्वस्थ है
ओर बुलंद हौसले के साथ बाहर निकलने का इन्तजार कर रहे है वहीं सिल्क्यारा पट्टी के लोगों का आरोप है कि कार्य दायी कम्पनी ने यहां के आराध्य देव बोखनाग की अनदेखी की है जिसके कारण यहा हदसा हुवा है दरअसल इस टनल के ठीक ऊपर बासुकी नागदेवता ओर ऊपर पहाड़ी पर बोखनाग देवता है मन्दिर बोखनाग के बारे मै मान्यता है कि कोई भी कार्य करने से पुर्व इसके मन्दिर मे श्रीफल जरूर चढ़ाना पड़ता है यानी कि देवता की अनुमति लेनी जरूरी है नहीं तो बाधा ज़रूर उत्पन होती है इसी मान्यता के आधार पर यहां के स्थानीय लोगों का आरोप है कि कम्पनी प्रशासन ने भगवान बोखनाग की अनदेखी की है जबकि यहां कार्य कर रहे स्थानीय मजदूर बार-बार कम्पनी के जी एम को यहां एक छोटा सा मन्दिर बनाने के लिए कहते आये हैं जिनकी मांग पर यहां पर एक मन्दिर भी बनाया गया था पर दुर्घटना के तीन दिन पहले टनल के बाहर खुदाई कर वहा मन्दिर हटा दिया गया था जिसके कारण देवता के प्रकोप से यहा हादशा हो गया ये देवता का ही आशीर्वाद है
कि टनल मे फंसे मजदूरों की लाइफलाइन पानी का पाइप जिसके द्वारा उन्हें आक्सीजन भोजन एवं दवाईयां उपलब्ध कराई जा लही है वह इतना बडा भूस्खलन होने के बाद भी सुरक्षित रहा ओर मजदूरों को अभी तक आंच तक नहीं आई ओर स्थानीय लोगों का दावा है कि अगर देवता को मनाया जाए तो सारी बाधाएं दूर हो जायेगी