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रिपोट – ब्यूरो रिपोट
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने 2009 से 2014 तक मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल वाहनों के तेल के खर्च में हुई धांधली में मुख्यमंत्री कार्यालय के तत्कालीन कार्मिकों के खिलाफ की गई कार्यवाही के बारे में एक हफ्ते के भीतर जबाव देने के निर्देश सरकार को दिए हैं। न्यायालय ने कहा कि वो आरोपियों के खिलाफ एफ.आई.आर.दर्ज करने के आदेश से पहले सरकार की कार्यवाही के बारे में जानना चाहती है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में हुई ।मामले के अनुसार 2016 में शासन ने मुख्यमंत्री के काफिले में वाहन शामिल करने वाली ट्रेवल एजेंसी ‘काला टूर एंड ट्रेवल्स’ और उनियाल टूर एंड ट्रेवल्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
ये टूर एजेंसियां पति पत्नी सुशील उनियाल और ज्योति काला के नाम पर चलती हैं, जिनपर लगभग डेढ़ करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। इस मामले में उनके खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है ।इस चार्जशीट को काला टूर एंड ट्रेवल्स और उनियाल टूर एंड ट्रेवल्स संचालक सुशील उनियाल और उनकी पत्नी ज्योति काला ने चुनौती दी। आरोपियों ने न्यायालय को बताया कि मुख्यमंत्री के जिलों में होने वाले दौरे के समय वाहनों की व्यवस्था उनकी ट्रेवल एजेंसी करती थी, जिसके बिल जिलों से सत्यापित कराकर मुख्यमंत्री ऑफिस भेजे जाते थे ।
मुख्यमंत्री ऑफिस से बिलों का सत्यापन होकर ट्रेजरी भेजा जाता है, जिसके बाद उनके बिलों का भुगतान हुआ। इसलिये इस मामले में केवल ट्रेवल एजेंसी को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता, लिहाजा चार्जशीट पर रोक लगाई जाए। न्यायालय ने सरकार से मुख्यमंत्री कार्यालय के तत्कालीन कार्मिकों के खिलाफ की गई कार्यवाही के बारे में एक हफ्ते के भीतर जानकारी देने को कहा है।