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रिपोर्टर- पंकज सक्सेना
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले तीन सालों में बच्चों के खिलाफ 4,18,385 अपराधिक मामले दर्ज किए गए | जिनमे से पॉक्सो एक्ट के तहत करीब 1,34,383 मामले दर्ज हुए हैं | भारत में पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस) जैसे कड़े कानून के बावजूद भारत में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं | बल्कि इसके विपरीत सालों-सालों यह मामले बढ़ते ही जा रहें हैं | बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी इस तरह के शर्मनाक मामले हो रहे हैं | राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) साल 2020 की एक रिपोर्ट का दावा है कि देश में बाल यौन शोषण के 47,221 मामले दर्ज किए गए थे| जिनमे अधिकतर मामले लड़कियों के हैं |

इस रिपोर्ट के मुताबिक यौन हिंसा और यौन शोषण की वारदात सबसे अधिक 16 से लेकर 18 वर्ष की लड़कियों के साथ हुईं | जिसमे से अधिकतर मामले या तो पुलिस तक नहीं पहुंचते हैं या फिर परिवार की बदनामी के डर से उसे दबा देता है | नौ साल पहले बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए पॉक्सो कानून बनाया गया था | लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह कानून देश में सफल हो रहा हैं ? 2016 से मामलों में 31 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है | लेकिन यह संख्या तो बस नामात्र की ही है | डिजिटलीकरण होने से अब यह मामले ऑनलाइन की ओर ज्यादा रुख ले रहे हैं | ऑनलाइन गेमिंग इसका सबसे बड़ा उदाहरण है | आज के इस दौर में यौन शोषण के लिए तस्करी किए गए आधे से अधिक बच्चे पहली बार टेक्स्ट, वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से अपने यौन शोषणकर्ता से मिले | ऐसे ही कई मामले और भी है जो बच्चो के यौन शोषण को बढ़ावा देते हैं | अनुमानित है कि इस तरह के मामलें 100 देशों तक फैला हुए है |

