
स्थान :रामनगर
रिपोर्टर : सलीम अहमद साहिल

पंचायत चुनाव के दूसरे चरण में रामनगर की महिलाओं ने लोकतंत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। सुबह होते ही पारंपरिक परिधान, रंग-बिरंगी चूड़ियां और माथे की बिंदियों से सजी महिलाएं पूरे उत्साह और आत्मविश्वास के साथ मतदान केंद्रों की ओर बढ़ती दिखाई दीं।

गृहिणियां हों या छात्राएं, वरिष्ठ महिलाएं या नवविवाहिताएं—सभी ने घर-परिवार की जिम्मेदारियों से पहले मतदान को प्राथमिकता दी। कई मतदान केंद्रों पर तो महिलाओं की कतारें पुरुषों से पहले ही लग चुकी थीं।


“हम सोच-समझकर वोट देते हैं”
कुछ महिलाओं ने बातचीत में बताया कि वे प्रत्याशियों के बारे में पूरी जानकारी रखती हैं और सोच-समझकर वोट डाल रही हैं। यह दर्शाता है कि महिलाएं अब सिर्फ घर तक सीमित नहीं, बल्कि वे राजनीतिक निर्णयों की बराबरी की भागीदार बन चुकी हैं।


महिलाओं की सुविधा का भी रखा गया ध्यान
प्रशासन की ओर से महिलाओं के लिए अलग कतारें और सुरक्षित मतदान की व्यवस्था की गई थी। वहीं, गर्मी में एक-दूसरे को पानी पिलाती और हौसला बढ़ाती महिलाओं का नजारा सामाजिक सौहार्द और जागरूकता का प्रतीक बना रहा।

बदलाव की असली शुरुआत घर से होती है


रामनगर में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र की जड़ें तभी मजबूत होती हैं, जब उसमें हर वर्ग की आवाज़ शामिल हो। और इस बदलाव की नींव महिलाएं ही रखती हैं, जो आज सिर्फ मतदाता नहीं, बल्कि लोकतंत्र की निर्णय निर्माता बन चुकी हैं।


