कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हॉग डियर की संख्या में मामूली बढ़ोतरी, संरक्षण प्रयासों को मिला बल

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में हॉग डियर की संख्या में मामूली बढ़ोतरी, संरक्षण प्रयासों को मिला बल

रिपोर्टर -: आसिफ इक़बाल
लोकेशन-: रामनगर

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षणकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है। हाल ही में सम्पन्न हॉग डियर (पाड़ा) की गणना में इनकी संख्या में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2021 में दर्ज 179 की तुलना में इस बार इनकी संख्या 10 बढ़कर 189 हो गई है। यह वृद्धि भले ही छोटी हो, लेकिन यह संरक्षण प्रयासों की सफलता की ओर इशारा करती है।

यह गणना मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखंड के निर्देशानुसार, 22 से 24 मई के बीच कॉर्बेट की सभी 12 रेंजों में बीट स्तर पर प्रत्यक्ष दृष्टि आधारित (Direct Sighting) विधि से की गई। हर बीट में एक प्रगणक और दो सहायक नियुक्त किए गए थे, जिन्होंने सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक क्षेत्र भ्रमण कर आंकड़े जुटाए।

गणना कार्य WWF इंडिया और द कार्बेट फाउंडेशन के सहयोग से वैज्ञानिक पद्धति से किया गया। इससे पहले, संबंधित टीमों को कॉर्बेट वन्यजीव प्रशिक्षण केंद्र, कालागढ़ में प्रशिक्षित किया गया था ताकि सर्वेक्षण में सटीकता सुनिश्चित की जा सके।

ढिकाला रेंज में सर्वाधिक संख्या

इस बार की गणना में कुल 189 हॉग डियर प्रत्यक्ष रूप से देखे गए, जिनमें 156 वयस्क और 36 शावक शामिल हैं। सबसे अधिक 175 हॉग डियर ढिकाला रेंज में दर्ज किए गए, जो इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता और उपयुक्त घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाता है।

संरक्षण की दिशा में सकारात्मक संकेत

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने इस वृद्धि को संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत बताया। उन्होंने कहा, “भले ही यह वृद्धि मामूली हो, लेकिन यह दर्शाती है कि हमारे संरक्षण प्रयास सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”

घासभूमियों के सिकुड़ने से आई थी गिरावट

हॉग डियर मुख्यतः ग्रासलैंड और तराई क्षेत्रों में पाए जाते हैं। प्राकृतिक बदलाव और मानवीय हस्तक्षेप के चलते इन क्षेत्रों में घासभूमियों का सिकुड़ना हॉग डियर की संख्या में गिरावट का कारण बना। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) भी इस गिरावट पर चिंता जता चुका है।

नए ग्रासलैंड विकसित करने की योजना

अब कॉर्बेट प्रशासन घासभूमियों को पुनर्स्थापित करने और नए ग्रासलैंड विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है ताकि हॉग डियर को सुरक्षित वासस्थल और पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो सके। हॉग डियर पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा हैं और बाघ, तेंदुआ जैसे शिकारी जीवों के लिए प्रमुख शिकार भी हैं।