
हल्द्वानी
नगर निगम की तैयारियों के तमाम दावों की हकीकत मानसून की पहली ही बारिश ने उजागर कर दी है। हल्द्वानी शहर के 60 वार्डों में सड़कों और गलियों की हालत बद से बदतर हो गई है। वार्ड नंबर 48 के सुरभि और साकेत कॉलोनी की स्थिति इस बात की बानगी पेश करती है कि शहर विकास के कितने दावों पर खरा उतरता है।


यहाँ सड़कों को दुरुस्त करने के लिए कुछ समय पहले खुदाई की गई थी, लेकिन कार्य अधूरा छोड़ दिया गया। अब बारिश ने उन गड्ढों को खतरनाक जलाशयों में बदल दिया है। कई वाहन चालक इन गड्ढों में गिरकर चोटिल हो चुके हैं, वहीं पैदल चलना तक दूभर हो गया है।


जमीन पर हकीकत: सड़क या खड्डा, समझना मुश्किल
बारिश के बाद गड्ढों में इतना पानी भर चुका है कि यह पहचान पाना मुश्किल हो गया है कि सड़क पर चला जाए या पानी में उतरें। स्कूटी, बाइक और कार चालक बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। स्थानीय निवासी प्रशासन और जनप्रतिनिधियों पर नाराज हैं, लेकिन कोई समाधान होता नहीं दिख रहा।



राजनीतिक दखल वाले शहर में बदहाल हालात
गौरतलब है कि हल्द्वानी वही शहर है जहाँ पर उत्तराखंड के कई वरिष्ठ नेता निवास करते हैं, जिनमें नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, केंद्रीय मंत्री और सांसद अजय भट्ट, विधायक सुमित हृदेश, मेयर गजराज बिष्ट, मंडी परिषद अध्यक्ष अनिल कपूर डब्बू, और कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत जैसे नाम शामिल हैं। बावजूद इसके, शहर की 60 वार्डों की गली-गली बदहाल है।
जनता की गुहार, लेकिन समाधान नहीं

स्थानीय निवासियों का कहना है कि मानसून से पहले निगम ने दावा किया था कि सभी सड़कों को दुरुस्त कर लिया जाएगा। लेकिन जमीनी हकीकत ठीक इसके उलट है। ना केवल मरम्मत अधूरी रही, बल्कि बरसात से पहले की खुदाई ने मुसीबतें और बढ़ा दी हैं।
“गड्ढों में गिरकर लोग घायल हो रहे हैं, प्रशासन और जनप्रतिनिधि सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं,” — स्थानीय निवासी

मांगें और सवाल
- क्या नगर निगम मानसून से पहले सड़कों की मरम्मत की सच्चाई उजागर करेगा?
- क्या जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी?
- और सबसे बड़ा सवाल — जनता की सुनवाई कब होगी?

