उत्तराखंड सरकार का सराहनीय प्रयास: काठगोदाम में सड़क चौड़ीकरण से बदली यातायात की तस्वीर

उत्तराखंड सरकार का सराहनीय प्रयास: काठगोदाम में सड़क चौड़ीकरण से बदली यातायात की तस्वीर

हल्द्वानी

उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में बसा हल्द्वानी शहर एक बार फिर चर्चा में है—इस बार कारण है काठगोदाम में सड़क चौड़ीकरण परियोजना, जिसने न केवल यातायात व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव किया है, बल्कि स्थानीय जनजीवन और पर्यटन को भी नई गति दी है।

काठगोदाम: जहां अक्सर रुक जाता था पहाड़ का रास्ता

काठगोदाम को नैनीताल और कुमाऊं क्षेत्र के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। वर्षों से यहां संकीर्ण सड़कें, अव्यवस्थित अतिक्रमण और बढ़ता ट्रैफिक एक बड़ी समस्या बने हुए थे। खासकर छुट्टियों और पर्यटन सीजन में यहां घंटों का जाम आम हो गया था, जिससे यात्रियों और स्थानीय नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था।


सरकार ने दिखाई दूरदर्शिता, जनता को मिली राहत

2025 की शुरुआत में उत्तराखंड सरकार ने इस दिशा में एक ठोस और दूरदर्शी कदम उठाया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में काठगोदाम क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की गई। यह सिर्फ एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने की ईमानदार कोशिश थी।

परियोजना के तहत:

  • मुख्य सड़कों का चौड़ीकरण किया गया,
  • अतिक्रमण हटाया गया,
  • नालियों और फुटपाथों का पुनर्निर्माण हुआ,
  • और यातायात संकेतों को स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया।

अब नहीं लगता जाम, मुसाफिर भी हैं खुश

जहां पहले यात्रियों को काठगोदाम पार करने में घंटों का समय लगता था, अब वही दूरी कुछ ही मिनटों में तय की जा रही है। ट्रैफिक नियंत्रण बेहतर हुआ है और वाहनों की आवाजाही पहले से कहीं अधिक सुचारु हो गई है।

स्थानीय दुकानदारों और निवासियों के अनुसार, अब ग्राहक आसानी से पहुंच पा रहे हैं, जिससे व्यापार में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।


पर्यटन को भी मिली रफ्तार

सड़क चौड़ीकरण के बाद अब पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है। नैनीताल, भीमताल, रानीखेत और अन्य पर्वतीय स्थलों की ओर जाने वाले सैलानी अब काठगोदाम में बिना किसी अवरोध के आगे बढ़ पा रहे हैं।

“अब जाम नहीं लगता, सफर सुहाना हो गया है,”
कहते हैं दिल्ली से आए एक पर्यटक राजीव मेहरा


विकास और पर्यावरण का संतुलन

परियोजना के दौरान यह भी सुनिश्चित किया गया कि प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। पेड़ों को नुकसान न पहुंचे इसके लिए विशेष योजना बनाई गई और हर हटाए गए पेड़ के बदले दो पौधे लगाने की नीति अपनाई गई।


सरकार की प्रतिबद्धता और जनता का भरोसा

यह परियोजना इस बात की जीती-जागती मिसाल है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रशासनिक तत्परता एक साथ हो, तो बदलाव संभव है। मुख्यमंत्री धामी ने खुद इस परियोजना की प्रगति पर नजर रखी और समय-समय पर निरीक्षण भी किए।