बड़ी कार्रवाई: हरिद्वार जमीन घोटाले में सीएम धामी का बड़ा कदम, डीएम समेत 12 अधिकारी सस्पेंड, नगर निगम का होगा स्पेशल ऑडिट

बड़ी कार्रवाई: हरिद्वार जमीन घोटाले में सीएम धामी का बड़ा कदम, डीएम समेत 12 अधिकारी सस्पेंड, नगर निगम का होगा स्पेशल ऑडिट

देहरादून
हरिद्वार ज़मीन घोटाले मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाते हुए हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह समेत 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की है कि हरिद्वार नगर निगम में स्पेशल ऑडिट कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। राज्य में पारदर्शी और उत्तरदायी शासन की स्थापना ही हमारी प्राथमिकता है।”

क्या है मामला?

हरिद्वार नगर निगम में ज़मीन खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। मुख्यमंत्री द्वारा गठित जांच समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट में जमीन क्रय की अनुमति में भारी अनियमितताओं और अधिकारों के दुरुपयोग का खुलासा हुआ है।

सस्पेंड किए गए प्रमुख अधिकारी व आरोप:

1. कर्मेन्द्र सिंह (तत्कालीन जिलाधिकारी, हरिद्वार)

आरोप: ज़मीन खरीदने की अनुमति देने में भूमिका और सत्यनिष्ठा संदिग्ध पाई गई।

2. वरुण चौधरी (तत्कालीन नगर आयुक्त)

आरोप: बिना उचित प्रक्रिया के भूमि क्रय प्रस्ताव पारित किया, वित्तीय अनियमितताओं में सक्रिय भूमिका।

3. अजयवीर सिंह (तत्कालीन SDM, हरिद्वार)

आरोप: ज़मीन खरीद प्रक्रिया के दौरान ही लैंड यूज़ बदलकर भूमि की कीमत में अप्राकृतिक वृद्धि करवाई।

अन्य अधिकारी जिनपर कार्रवाई हुई:

  • निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी)
  • विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक)
  • राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगो)
  • कमलदास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार)

इन सभी अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। डीएम, एसडीएम और नगर आयुक्त को शासन में कार्मिक व सतर्कता विभाग से अटैच किया गया है।


क्या होगा स्पेशल ऑडिट में?

मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर हरिद्वार नगर निगम के पिछले 5 वर्षों के भूमि खरीद, वित्तीय लेन-देन, विकास प्राधिकरण और भवन अनुज्ञा संबंधी सभी दस्तावेजों की गहन जांच की जाएगी। यह ऑडिट राज्य के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के मानकों के अनुसार किया जाएगा।


सीएम धामी का बयान:

“भ्रष्टाचार करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन के लिए प्रतिबद्ध है। चाहे कोई भी हो, यदि उसने जनहित के विरुद्ध कार्य किया है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”


भविष्य की कार्रवाई:

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई जांच या न्यायिक जांच की सिफारिश भी की जा सकती है। शासन ने पूरे प्रकरण को “गंभीर वित्तीय अनियमितता” मानते हुए अन्य विभागों को भी सचेत किया है।