देशभक्ति रिटायर नहीं होती: विकासनगर के पूर्व सैनिकों का वीर संकल्प

देशभक्ति रिटायर नहीं होती: विकासनगर के पूर्व सैनिकों का वीर संकल्प

टॉप: विकासनगर
रिपोर्ट :सतपाल धानिया

जब बात देश की सीमाओं की सुरक्षा की हो, तो नजरें केवल सीमा पर तैनात सैनिकों पर ही नहीं, बल्कि उन वीरों पर भी टिकती हैं जिन्होंने वर्दी उतार दी है, पर जज़्बा अब भी दिल में धड़क रहा है। विकासनगर के सेलाकुई क्षेत्र में कुछ ऐसा ही दृश्य शुक्रवार को देखने को मिला, जिसने यह साबित कर दिया कि देशभक्ति कभी सेवानिवृत्त नहीं होती।

पूर्व सैनिक पर्वतीय जनकल्याण समिति के बैनर तले आयोजित एक विशेष बैठक में दर्जनों पूर्व सैनिकों ने भाग लिया और भारत-पाक तनाव की पृष्ठभूमि में देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा को दोहराया। इस अवसर पर उन्होंने स्पष्ट कहा, “माँ भारती जब भी पुकारेगी, हम फिर से वर्दी पहनने को तैयार हैं।”

इन वीरों में कई ऐसे सैनिक शामिल थे जिन्होंने कारगिल युद्ध, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर की सीमाओं पर दुश्मनों से लोहा लिया है। उम्र भले ही बढ़ गई हो, लेकिन उनके चेहरों पर वही जोश और आँखों में वही चमक अब भी ज़िंदा है। उनका कहना था, “सरहद हो या गांव की चौकसी, हम हर मोर्चे पर देश सेवा को तैयार हैं।”

कुछ पूर्व सैनिक तो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका कहना था, “हमने जवानी देश को दी, अब ज़रूरत पड़ी तो बुढ़ापा भी मां भारती के नाम कर देंगे। हमें सिर्फ एक इशारा चाहिए… हथियार फिर से उठा लेंगे। तिरंगे के लिए जान देना हमारे लिए सौभाग्य होगा।”

इन सैनिकों का जोश उस समय और भी प्रेरणादायक हो गया जब उनकी पत्नी और परिवार की महिलाएं भी उनके संकल्प में साथ खड़ी दिखीं। उन्होंने कहा कि “जब देश ने पुकारा, हमारे घर के पुरुष आगे बढ़े। अब फिर वक्त आएगा, तो हम भी हर बलिदान को तैयार हैं।”

करीब 25 से 30 वर्षों तक भारतीय सेना में सेवा दे चुके इन सैनिकों का यह राष्ट्रप्रेम का प्रदर्शन यह बताता है कि ये सिर्फ बीते कल के ही नहीं, बल्कि आज और आने वाले कल के भी प्रहरी हैं। उनका यह भी कहना है कि सरकार को उनके इस संकल्प को गंभीरता से लेना चाहिए।

विकासनगर के इन पूर्व सैनिकों की यह आवाज़ न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि पूरे देश को यह एहसास कराती है कि जब बात तिरंगे की होती है, तो यह देश सिर्फ सक्रिय सैनिकों का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का है जिसके दिल में देश बसता है।