
रिपोर्टर नाम-: आसिफ इक़बाल
लोकेशन-: रामनगर
प्रदेश में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। कांग्रेस जहां इसे जनता के खिलाफ साजिश बता रही है, वहीं भाजपा इसे विकास की दिशा में कदम कह रही है। लेकिन अब मामला भाजपा के भीतर गुटबाजी तक पहुंच गया है।

कांग्रेस का विरोध, रणजीत रावत ने तोड़े मीटर
कुछ दिन पहले रामनगर के पूर्व कांग्रेस विधायक रणजीत सिंह रावत ने खुलेआम स्मार्ट मीटर का विरोध करते हुए मीटर तोड़ डाले और सरकार पर जनता को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने इन मीटरों को “जनता की जेब काटने वाला उपकरण” बताया।


भाजपा नेताओं की दोहरी प्रतिक्रिया
इस विरोध के जवाब में भाजपा नेता भी दो धड़ों में बंटे नजर आए।
- हल्द्वानी के मेयर गजराज सिंह बिष्ट ने कांग्रेस नेता पर गुंडागर्दी और अराजकता फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें “जनता को गुमराह करने वाला” बताया।
- वहीं दूसरी ओर, कुछ ही घंटों बाद उत्तराखंड मंडी परिषद के अध्यक्ष डॉ. अनिल कपूर डब्बू, रामनगर विधायक दीवान सिंह बिष्ट, और अन्य भाजपा नेताओं ने अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरे मामले को शांतिपूर्वक समझाने की कोशिश की।

जनता में भ्रम, जवाब अधूरा
जहां भाजपा नेता स्मार्ट मीटर को लाभकारी और पारदर्शी व्यवस्था बता रहे हैं, वहीं जनता में अब भी कई सवाल हैं —
- क्या मीटर अधिक बिल उत्पन्न कर रहे हैं?
- मीटर की तकनीकी गड़बड़ी की जांच कौन करेगा?
- यदि नुकसान नहीं है, तो कई राज्यों में इनका विरोध क्यों हो रहा है?
भाजपा का पक्ष

डॉ. अनिल कपूर डब्बू ने कहा:
“देश के कई कांग्रेस शासित राज्यों में भी ये मीटर लगाए जा रहे हैं। उत्तराखंड में अब तक 75,000 से ज्यादा स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं।“
उन्होंने कांग्रेस पर “पूर्व मुख्यमंत्री के समय भूमि कब्जा और टैक्स लूट” के आरोप भी लगाए।
निष्कर्ष
इस पूरे विवाद ने उत्तराखंड में राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है। जहां भाजपा मीटर को डिजिटलीकरण और सुविधा का प्रतीक बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे जनविरोधी निर्णय बता रही है। लेकिन अब भाजपा नेताओं के बीच बयानबाज़ी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सार्वजनिक संवाद और नीति स्पष्टता की जरूरत है।
