रिपोर्ट -दीपक नौटियाल उत्तरकाशी
जनपद उत्तरकाशी का रामलीला मैदान जिसे आजाद मैदान के रूप में भी जाना जाता है जिला मुख्यालय का हार्ट यह मैदान आज आखिरी सांसें गिन रहा है ओर इस मैदान पर खेलने वाले युवा खतरों के बीच खिलाड़ी बन रहे हैं ऐसा हम क्यों कह रहे हैं इस रिपोर्ट में देखिए
जनपद मुख्यालय में स्थित इस मैदान पर जनपद के सभी बड़े मेले रैलियां संस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा इस मैदान पर यात्रा काल में अस्थाई पार्किंग भी की जाती है पर यात्रा समाप्त होने के बाद इस मैदान पर रेहड़ी ठेली वालों का कब्जा हो जाता है जिसके कारण यहां गन्दगी के साथ बड़े बड़े गड्ढे बने हुए हैं ओर इस मैदान से लाखों रुपए कमाने वाली नगरपालिका इसके रख रखाव पर कोई ध्यान नहीं दे रही है इस मैदान पर उत्तरकाशी की दो होनहार बेटियां जिन्होंने एवलांच में अपनी जान गंवाई थी नोमी रावत ओर सविता कंसवाल
उनके नाम से यहां फुटबॉल प्रतियोगिता का हर साल आयोजन किया जाता है पर इस समय इस मैदान के हालात यह हैं कि यहां खेलने वाले खिलाड़ी खुद इन गड्ढों को ठीक कर खेलने को मजबूर हैं कुछ सालों पहले नगरपालिका ने इस मैदान पर 35लाख की घास भी बिछाईं थी पर वह घास कोन खा गया पता नहीं चल पा रहा है एक तरफ तो उत्तराखंड सरकार खेल महाकुंभ के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर रही है पर जब युवाओं को
मैदान ही नहीं मिलेगा तो वह खेलेंगे कहां हालांकि उत्तराखंड सरकार के खेल विभाग द्वारा मनेरा में स्टेडियम बनाया तो गया पर वहां पड़ने वाली फीस एवं मुख्यालय से दूर होने के कारण वहां बहुत कम युवा पहुंच पाते हैं ऐसे में युवा नशे की ओर नहीं जाएगा तो कहा जायेगा उत्तरकाशी के लोगों की मांग है कि इस मैदान को केवल खेल के रूप में इस्तेमाल किया जाए ओर इसका रखरखाव कर जनपद की खेल प्रतिभाओं
को आगे बढ़ने का मोका दिया जाए वहीं नगरपालिका का कहना है कि इसके लिए मास्टर प्लान बनाया जा रहा है पर सवाल वही की कब बनेगा प्लान अब आजाद होगा यह मैदान