ग्राम विकास अधिकारी ने पेश की गलत रिपोर्ट, पीड़ितो को नहीं मिला न्याय

ग्राम विकास अधिकारी ने पेश की गलत रिपोर्ट, पीड़ितो को नहीं मिला न्याय

स्थान :- जसपुर
रिपोर्टर :- प्रदीप श्रीवास्तव

एक तरफ जहां मोदी सरकार डबल इंजन की सरकार कहे जाने वाली राष्ट्र से भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी को जड़ से खत्म करने एवं पीड़ितों को न्याय देने के लिए आए दिन समय समय पर तरह-तरह के जागरूकता अभियान लगातार चलाती आ रही है तथा कोई भी पीड़ित न्याय से वंचित न रहे इसको लेकर डबल इंजन की सरकार ने इस बार एक अलग ठोस कदम उठाते हुए देश से पुरानी कानून व्यवस्था को खत्म कर नयी कानूनी ब्यवस्था लागू कर दी है

जिससे नागरिकों को अति शीघ्र न्याय मिल सके बावजूद इसके भी भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी रूकने का नाम ही नहीं ले रही है जिसमे सरकार के न्याय के प्रति बड़े-बड़े दावे खोखले नजर आ रहे हैं क्योंकि वहीं दूसरी तरफ सरकार के अपने ही कुछ चुनिंदा अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी तानाशाही , अफसरशाही एवं अपने पद का दुरुपयोग कर खुलेआम सरकारी नियमों की धज्जिया उड़ाते हुए सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं

जिसका खामियाजा ग्रामीणों को न्याय न मिलने एवं भ्रष्टाचारी की मार झेलने के रूप में भुगतना पड़ रहा है ऐसा ही चौंकाने वाला एवं हैरत कर देने वाला खुलासा उसे वक्त सामने आया जब पीड़ितों की सूचना पाकर हमारे संबाददाता सबसे पहले गांव में पहुंचे और पूरे प्रकरण को बारीकी से देखा तो उसमें कुछ अलग ही हैरत करने एवं चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है यह प्रकरण उत्तराखंड प्रदेश के जनपद उधम सिंह नगर के जसपुर ब्लॉक गांव गंगापुर का है जहां जसपुर ब्लॉक में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर तैनात एवं सरकार के

अपने ही अधिकारी मनोज कुमार ने अपनी तानाशाही, नौकरशाही एवं पद का दुरूयोग कर संविधान की अवहेलना करते हुए सरेआम सरकारी नियमों की धज्जिया उड़ाकर सही रिपोर्ट के स्थान पर झोपड़ी की जगह खाली प्लॉट दिखा देना, कच्चे आवास के स्थान पर पक्के आवास दर्शाना एवं अपनी इच्छानुसार सर्वे मे पात्र व्यक्तियों को बाहर कर देना सहित अनेक नियमित्ताये भरी करीब एक दर्जन यानी 12 ग्रामीणो की गलत रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारी को पेश कर दी अधिकारी की इस भ्रष्टाचारी का खामियाजा ग्रामीणों को न्याय न मिलना एवं सरकार द्वारा दिए जाने वाले प्रधानमंत्री आवास आज तक न मिलने से वंचित रहकर भरना पड़ा

इस संबंध में जब ग्रामीण खंड विकास कार्यालय पहुंचकर प्रभारी खंड विकास अधिकारी शमीम अहमद से मिले तो अधिकारी ने पेश की गई रिपोर्ट को गलत मानकर ग्रामीणों को हर संभव मदद करने का भरोसा देकर आश्वासन देते हुए बताया कि जब भी भारत सरकार का प्रधानमंत्री आवास रजिस्टेसन खुल जाएगा तो तत्काल दूसरे अधिकारी से दोबारा जांच कराकर जो भी ग्रामीण पात्र की श्रेणी में आते हैं उन सभी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास दिए जाएंगे


अब देखना यह है क्या पीड़ितों को न्याय मिल सकेगा यदि न्याय मिलता है कितने समय मे आईये आपको सुनाते हैं की

अधिकारी के भ्रष्टाचार का शिकार हुए एवं न्याय से वंचित पीड़ित गामीण किस तरह सरकार से बारंबार न्याय की गुहार लगाते हुए अपना दर्द बयां कर रहे हैं सुनिये