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रिपोट -अरशद हुसैन
स्थान -रुड़की
पूरे देश में प्रधानमंत्री के द्वारा चलाई जा रही योजना में गर्भवती महिलाओं में गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल और उच्च जोखिम गर्भावस्था का पता लगाने को सुनिश्चित करने के लिए देश के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर हर महीने की 9 तारीख को प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान शुरू किया गया है इस अभियान की प्रमुख योजनाओ में जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम मुफ्त दवाएं,

मुफ्त निदान, मुफ्त रक्त ,और आहार, घर से संस्थान तक मुफ्त परिवहन, रेफरल के मामले में सुविधाओं के बीच और घर वापस लाने की सुविधा प्रदान की जाती है इस अभियान में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य शामिल हैं। इसी का लाभ लेने के लिए आशाओं के साथ जाकर गर्भवती महिलाओं को घंटो तक खड़े होकर परेशानियों का सामना करना पड़ा साथ ही मंगलौर के एक प्राइवेट अस्पताल ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरुकुल नारसन में फ्री मेडिकल कैंप को लगाना सुनिश्चित किया जिसका सर्कुलर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारसन के चिकित्सा अधिकारी के द्वारा सभी आशाओं को भेजा गया

मगर सर्कुलर का प्रचार प्रसार सही ढंग से न होने के कारण सभी गर्भवती महिलाएं आशाओं के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारसन ना पहुंचकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मंगलौर में पहुंच गई वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मंगलौर में महिलाओं की एक मात्र डॉक्टर होने ओर अचानक अत्यधिक भीड़ आने के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मंगलौर की व्यवस्थाएं चरमरा गई वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मंगलौर में डॉक्टर और गर्भवती महिलाओं के बीच माहौल गर्म हो गया मंगलौर के चिकित्सा अधिकारी ने स्थिति को संभालते हुए कहा

कि उन्हें इस फ्री मेडिकल कैंप जानकारी नहीं है उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मंगलौर किसी प्राइवेट अस्पताल के द्वारा कोई कैंप नही लगाया गया उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं के मेडिकल चेकअप रूटीन से बड़े आराम से किया जा रहा था मगर अचानक आई इतनी भीड़ से व्यवस्थाएं प्रभावित हो गई वही जब इस संबंध में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारसन के चिकित्सा अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए बताया

कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत मंगलौर के एक प्राइवेट अस्पताल के द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारसन में फ्री मेडिकल चेकअप सुनिश्चित किया गया था मगर प्रचार प्रसार सही ढंग से न होने के कारण ओर आशा बहनों को गलतफहमी होने से गर्भवती महिलाओं को इस परेशानी का सामना करना पड़ा।

