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रिपोट -पंकज सक्सेना
स्थान -हल्द्वानी
उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी में नियुक्तियां की गड़बड़ी का मामला सामने आया है लेकिन अब एक मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया है मामला विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग का है जहां तकरीबन 2 साल पहले एक नामी क्वालिफाइड व्यक्ति को एसोसिएट प्रोफेसर बनाने का मामला सामने आया है पत्रकारिता विभाग के ही असिस्टेंट प्रोफेसर ने पूरे मामले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा डाला और अब हाईकोर्ट ने भी आरोपी
एसोसिएट प्रोफेसर यूनिवर्सिटी और सरकार से जवाब मांग लिया है हम आपको बता दे की नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में जनसंपर्क अधिकारी PRO को प्रोफेसर बनने के मामले में राज्य सरकार और विश्वविद्यालय से जवाब मांगा है उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष और पत्रकारिता के शिक्षक डॉ भूपेश सिंह ने याचिका में कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी पिछले 4 साल से नियुक्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में रहा है 2021 में प्रोफेसर के 25 पदों पर भर्तिया की गई है इसमें बड़े पैमाने पर अनियमिताएं के आरोप लगे हैं
तब विश्वविद्यालय के PRO राकेश रयाल को पत्रकारिता विभाग ने एसोसिएट प्रोफेसर बना दिया इस नियुक्ति को अवैध बताते हुए डॉक्टर भूपेश सिंह ने राज्यपाल और राज्य सरकार से इसे रद्द करने की मांग की दोनों जगह से कोई कार्रवाई न होने पर उत्तराखंड उन्होंने उत्तराखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की है जस्टिन मनोज कुमार तिवारी और जस्टिन पंकज पुरोहित की डबल बेंच में मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय और राकेश रयाल को नोटिस भेजा है मामले पर वारंटोरीया के तहत कार्रवाई की गई कोर्ट ने जानना चाहा
कि आखिर किन नियमों के तहत राकेश रयाल को pro से प्रोफेसर बनाया गया याचिका में कहा गया कि बिना नेट और पीएचडी किये भी राकेश रयाल के अंशकालिक अतिथि शिक्षक और pro के अनुभव को भी मन माने तौर पर असिस्टेंट प्रोफेसर के बराबर माना गया है याचिका करता डॉक्टर भूपेश सिंह की तरफ से एडवोकेट सुहास रत्न जोशी और राज्य सरकार की तरफ से की स्टैंडिंग काउंसिल चंद्रशेखर रावत ने कोर्ट में जिले की राकेश राय पर आरोप है कि उन्होंने बिना योग्यता के पद हथियाना की थी और विश्वविद्यालय के नियमों को तात्पर्य उनकी ही भारती की थी राज्य सरकार ने इस मामले में याचिका करता और किसी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं
कि इस मामले में 25 अप्रैल को एक नोटिस का जवाब कोर्ट को देना है याचिका में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के शिक्षक की भर्तियों में बड़े पैमाने पर धरने के आरोप लगाए गए हैं इसमें उत्तराखंड की महिलाओं के लिए नियमित 30% आरक्षण को लागू न करने और एक मनमाने तरीके से उम्मीदवार को शर्ट लिस्टिंग के लिए बनी स्कैनिंग कमेटी की रिपोर्ट की अनोखी कार्य एक अवैध शिकायत निवारण समिति बनाने की बात की गई है