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रिपोर्टर : अज़हर मलिक
स्थान -उधम सिंह नगर
उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर सियासत गरमाती हुई दिखाई दे रही है कांग्रेस निकाय चुनाव को न करने पर अधिकारियों का दुरुपयोग करने की वजह बता रही है तो दूसरी ओर परिसीमन के मामले में सत्ताधारी पार्टी अपना पल्ला झाड़ने में लगे हैं, आखिर क्यों गरमाई निकाय चुनाव को लेकर उत्तराखंड में राजनीति देखिए हमारी एक खास रिपोर्टउत्तराखंड में दो दिसंबर से नगर निगमों की जिम्मेदारी जिलाधिकारी और अन्य निकायों का कामकाज एसडीएम रैंक के अधिकारी संभालेंगे।
प्रशासक की नियुक्ति छह माह के लिए की जाएगी। आपको बता दें कि एक दिसंबर को निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है…निकाय चुनाव ना कराने पर सरकार इनमें प्रशासक तैनात कर देगी। प्रदेश में करीब 84 नगर निकाय के बोर्ड का कार्यकाल एक दिसंबर को पूरा हो जाएगा…इस बार चुनाव समय पर नहीं होने के कारण शहरी विकास विभाग आगामी एक दिसंबर को निकायों में प्रशासक की नियुक्ति करने की तैयारी कर रहा है। वही चुनाव समय पर न करने को लेकर विपक्ष सरकार पर कई सवाल खड़े कर रहा है
विपक्ष का कहना है कि सरकार की नियति थी ही नहीं समय पर चुनाव कर पाने की इस वजह से चुनाव समय पर नहीं हो रहे हैं हालांकि सरकार पहले बोलती रही चुनाव समय पर होंगे लेकिन चुनाव समय पर न करने की वजह से इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा जो निर्वाचित पार्षद हैं वह अपने क्षेत्र में समय पर सफाई करवाते हैं तमाम व्यवस्थाएं करते हैं लेकिन अब यह व्यवस्थाएं कैसे होगी यह भी एक सवाल है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा की भाजपा को निकाय चुनावो में हार का डर सता रहा है, जब नगर निकायों में पालिका में प्रशासक बैठक में तो भाजपा सत्ता का दुरुपयोग करेगी तो वहीँ भाजपा के पूर्व विधायक शैलेन्द्र मोहन सिंघल,ने पलटवार करते हुए, कहा कि निकाय चुनाव को कोई नहीं रोक सकता लेकिन जब नई पालिकाएं बनती है तो उनके परिसीमन में समय लगता है,कुल मिलाकर भाजपा परिसीमन करने के नाम पर चुनाव कराने से पल्ला झाड़ रही है तो वही कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को निकाय चुनाव में हार का डर सता रहा है, अब देखने वाली बात होगी जनता जनार्दन जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगी,