उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सबसे पहले खबरें जानने के लिए हमारे न्यूज़ ही चैनल. News Portal uk सब्सक्राइब जरूर करें .ख़बरों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें – 9634912113,- 8057536955 न्यूज़ पोर्टल, उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल में सभी विधान सभा स्तर पर संवाददाता\विज्ञापन संवाददाता, ब्यूरो चीफ की आवश्यकता
रिपोट -ब्यूरो रिपोट
स्थान -पिथौरागढ़
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के अस्कोट में खरबों मूल्य का सोना, चांदी और तमाम बहुमूल्य धातुएं दबी हुई हैं। जिसे हैदराबाद की कंपनी निकालेगी। इस क्षेत्र में अब दोबारा से माइनिंग की जाएगी।अस्कोट की धरती में दबा है खरबों का सोना-चांदीअस्कोट की धरती में खरबों की सोना, चांदी और तमाम बहुमूल्य धातुएं दबी हुई हैं। जिन्हें हैदराबाद की कंपनी निकालेगी। ये बात डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल ने कही है। उन्होंने कहा कि अस्कोट में माइनिंग शुरू होने के बाद स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा।साल 2004 में पता चला था
सोने के भंडार के बारे मेंपत्रकार वार्ता में डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल ने बताया कि साल 2004 में यहां सोने के भंडार होने के बारे में पचा चला था। 2004 में कनाडा की गोल्ड माइन कंपनी ने अस्कोट क्षेत्र में सर्वे किया था। इस सर्वे में पता चला था कि अस्कोट में 15 किमी क्षेत्र में बहुमूल्य तांबा, सोना सहित अन्य धातुएं हैं। उस समय कुछ समय के लिए इसे निकालने का भी काम किया गया था। लेकिन क्षेत्र के अस्कोट कस्तूरी मृग विहार क्षेत्र में आने के कारण इस काम को रोक दिया गया था।मृग विहार क्षेत्र से हटा दिया गया है ये क्षेत्रमिली जानकारी के मुताबिक अब इस क्षेत्र को मृग विहार क्षेत्र से हटा दिया गया है। जिसके बाद माइनिंग करने के लिए हैदराबाद
की रसीद कंपनी को यहां पर खुदाई की अनुमति के लिए भारत सरकार को पत्र दिया गया है। अनुमति मिलने के बाद कंपनी यहां पर माइनिंग कर जमीन के नीचे से बेश्कीमती खजाने को बाहर निकालेगी। जिस से लोगों को रोजगार मिलेगा।1.65 लाख मीट्रिक टन धातु की मौजूदगी का चला था पतापहले अस्कोट पाल राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। यहां तब भी धरती में तांबे की खदानें थीं। लंबे समय तक इन खदानों से तांबा निकाला जाता था।
बाद में यहां तांबे के साथ ही सोना, पीतल सहित अन्य धातुओं के होने के बारे में भी पता चला। जिसके बाद मिनरल एक्प्लोरेशन कॉरपोरेशन ने भी सालों तक यहीं खनन कर धातुएं निकाली थीं। लेकिनअस्कोट कस्तूरा मृग विहार का प्रतिबंध लागू होने के बाद एमईसी ने यहां पर खनन बंद कर दिया।जिसके बाद भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय द्वारा किए
गए सर्वे में यहां पर सोना, तांबा, चांदी, शीशा, जस्ता जैसी 1.65 लाख मीट्रिक टन धातु की मौजूदगी का पता चला। फिर यहां पर छुपे खजाने को साल 2003 में कनाडा की आदि गोल्ड कंपनी ने निकालने की कोशिश की। सर्वे किया गया कंपनी ने यहां पर अपना ऑफिस खोला।कंपनी द्वारा किए गए सर्वे में पता चला कि यहां पर धरती के अंदर सोना मिश्रित धातु की लंबी लड़ी है। इसके बाद साल 2007 में कंपनी ने सरकार से खुले खनन के लिए 30 वर्ष की लीज की अनुमति मांगी। लेकिन पर्यावरणीय अनुमति ना मिलने के कारण यहां पर माइनिंग को बंद कर दिया गया।