
रिपोर्टर नाम-: आसिफ इक़बाल
लोकेशन-: रामनगर
रामनगर से करीब 24 किलोमीटर दूर स्थित चुकुम गांव का विस्थापन एक बार फिर से अनिश्चितता के घेरे में आ गया है। 1993 से विस्थापन की उम्मीद लगाए बैठे ग्रामीण आज तक किसी ठोस समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।


चुकुम गांव, जो रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत आता है, पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। इसी वजह से कई वर्षों पहले इसे विस्थापित करने की योजना बनाई गई थी। प्रशासन ने आमपोखरा रेंज में बसाने की जमीन चिह्नित कर सर्वे भी किया, जिससे ग्रामीणों में उम्मीद जगी, लेकिन वन विभाग की आंतरिक मतभेदों और अन्य आपत्तियों के कारण यह योजना फिलहाल स्थगित हो गई।


इसके बाद प्रशासन ने ग्रामीणों को उधमसिंहनगर जिले के जसपुर के किलावली क्षेत्र में बसाने का प्रस्ताव रखा, जिसे ग्रामीणों ने खारिज कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपनी भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान रामनगर और नैनीताल जिले से जोड़े हुए हैं, इसलिए उन्हें दूर कहीं और बसाना उनके सामाजिक और पारिवारिक जीवन के लिए अन्याय होगा।

ग्रामीण लक्ष्मण सिंह ने कहा, “हम 1993 से इस दिन का इंतजार कर रहे हैं। अगर हमें यहाँ से दूर किसी अन्य जगह बसाया गया, तो यह हमारे साथ अन्याय होगा। हम यहीं रहना चाहते हैं।”

मामले में एसडीएम प्रमोद कुमार ने कहा कि प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है ताकि ग्रामीणों को बेहतर और उचित विकल्प मिल सके। कुछ प्रक्रियात्मक अड़चनें हैं जिन्हें सुलझाने का प्रयास जारी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा।

फिलहाल, चुकुम गांव के ग्रामीण भविष्य की अनिश्चितता के बीच प्रशासन के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।

