जय बद्री विशाल! विधि-विधान से खुले श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

जय बद्री विशाल! विधि-विधान से खुले श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

स्थान : चमोली (बद्रीनाथ धाम)

श्रद्धा, भक्ति और आस्था के अनुपम संगम के साथ आज 4 मई 2025, शनिवार प्रातः 6:00 बजे शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु को समर्पित श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु विधिवत खोल दिए गए। इसी के साथ आधिकारिक रूप से इस वर्ष की पावन श्री बद्रीनाथ यात्रा का शुभारंभ हो गया।

कपाटोद्घाटन के शुभ अवसर पर तीर्थ पुरोहितों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की गई। चारों ओर ढोल-नगाड़ों की गूंज और आर्मी बैंड की मधुर धुनों के बीच ‘जय बद्री विशाल’ के गगनभेदी जयकारों से पूरा धाम भक्तिमय हो उठा। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालुओं ने इस दिव्य क्षण के साक्षी बनकर पुण्य लाभ अर्जित किया।

इस अवसर पर श्री बद्रीनाथ मंदिर को लगभग 15 टन रंग-बिरंगे व सुगंधित फूलों से भव्य रूप से सजाया गया, जिसने मंदिर की दिव्यता और आकर्षण में चार चांद लगा दिए। प्रातः काल से ही मुख्य पुजारी रावल जी, धर्माधिकारी एवं वेदपाठी विद्वानों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना आरंभ की गई।

परंपरा के अनुसार, सबसे पहले माता लक्ष्मी को गर्भगृह से निकालकर मंदिर की परिक्रमा कराई गई और उन्हें लक्ष्मी मंदिर में विराजित किया गया। तत्पश्चात भगवान कुबेर और उद्धव जी को बद्री विशाल मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की चतुर्भुज मूर्ति को पारंपरिक घृत कंबल से हटाकर उनका पवित्र अभिषेक (स्नान) कर सुंदर श्रृंगार किया गया।

अब अगले छह महीनों तक श्री बद्रीनाथ मंदिर में श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के साथ-साथ उद्धव, कुबेर, नारद और नर-नारायण के दिव्य दर्शन कर सकेंगे। इसके साथ ही बद्रीनाथ धाम परिसर स्थित गणेश मंदिर, घटाकर्ण, आदि केदारेश्वर, आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर और माता मूर्ति मंदिर के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर वर्ष ग्रीष्मकाल में छह महीनों तक भगवान विष्णु मानव समाज के बीच रहते हैं और भक्तगण उनकी पूजा करते हैं, जबकि शीतकाल में धाम बंद होने के बाद देवताओं द्वारा स्वयं उनकी आराधना की जाती है, जिसमें मुख्य पुजारी देवर्षि नारद माने जाते हैं।

पावन श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का आध्यात्मिक वातावरण चरम पर पहुंच गया है और यात्रा में उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बद्री विशाल की आस्था अटूट और अक्षुण्ण है।