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रिपोर्टर – दीपक नौटियाल
स्थान – उत्तरकाशी
उत्तरकाशी, जिसका अर्थ है उत्तर की काशी, भारत के उत्तराखंड का एक धार्मिक शहर जिसको सौम्य काशी एवं शहर को शिवनगरी भी कहा जाता है। साथ ही यह स्थान आध्यात्मिक और साहसिक पर्यटन के लिए एक धार्मिक स्थान है हर साल यहां माघ मेला जिसे स्थानीय बोली में ‘थौलू’ कहा जाता है जो मुख्यालय में मकर संक्रान्ति से प्रारम्भ होता है,ओर दस दिन तक चलता है
मेला आरम्भ होने से पूर्व यहां यमुना घाटी एवं गंगा घाटी एवं टौंस घाटी के सभी गांवों के देवताओं की डोलियां एवं उनके निशान (प्रतीक त्रिशूल ध्वज आदि को मर्णिकर्णिका घाट पर भागीरथी मैं स्नान कराया जाता है। स्थानीय वाद्य यंत्रों के साथ डोलियों को नचाते हुए जनपद का प्रसिद्ध भैरव मंदिर एवं विश्वनाथ मंदिर के दर्शनों के बाद स्थानीय रामलीला मैदान में बने स्थाई मंच में लाया जाता है।
पहले इस मेले को धार्मिक मान्यताओं से लेकर मनाया जाता था लेकिन समय के साथ-साथ इसे विकास कार्यों व बाहर से आये पर्यटकों को लुभाने के लिये भी मनाया जाने लगा है। मुख्य अतिथि के साथ स्थानीय कण्डार देवता व हरि महाराज के ढोल द्वारा मेले का उद्घाटन किया जाता है। मेले में जनता के मनोरंजन के लिये प्रत्येक जनपद से आये सांस्कृतिक दलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं, जिनमें संस्कृति का आदान-प्रदान भी होता है।
यह जनपद का सबसे बड़ा मेला है इस बार भी जिला पंचायत उत्तरकाशी द्वारा इस मेले का भव्य आयोजन किया जाएगा जिसके लिए तैयारियां तेज हो गयी है जिलापंचायत अध्यक्ष दीपक विजल्वांण ने आज मेले से जुड़ी सुरक्षा कमेटी की बैठक लेते हुए बताया कि इस बार पूरे मेला प्रांगण सहित सभी प्रमुख स्नान घाटों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जायेगी साथ ही मेले की पौराणिकता को बनाये रखने के लिए यहां के बुद्धिजीवी लोगों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है