संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति गृहमंत्री अमित शाह द्वारा की गई अमर्यादित टिप्पणी पर हल्द्वानी  में प्रदर्शन आयोजित।

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति गृहमंत्री अमित शाह द्वारा की गई अमर्यादित टिप्पणी पर हल्द्वानी में प्रदर्शन आयोजित।

हल्द्वानी

हल्द्वानी में आज बौद्ध पार्क तिकोनिया में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के प्रति गृहमंत्री अमित शाह द्वारा की गई अमर्यादित टिप्पणी के विरोध में एक विशाल प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस प्रदर्शन में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और मांग की कि अमित शाह तुरंत माफी मांगें और अपने पद से इस्तीफा दें। प्रदर्शनकारियों ने अमित शाह का पुतला भी दहन किया।

शिल्पकार वेलफेयर सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश चंद्र बौद्ध ने कहा:
“एक गृहमंत्री होने के नाते अमित शाह के पास पूरे देश की जिम्मेदारी है। परंतु उन्होंने संविधान निर्माता डॉ. अंबेडकर का अपमान कर न केवल दलित समाज, बल्कि पूरे देश का अपमान किया है। ऐसे व्यक्ति को इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।”

उन्होंने आगे कहा:
“बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर चाहते तो अपने जीवन में जातिवाद और भेदभाव के आधार पर मनुस्मृति जैसे विचारों को संविधान में स्थान दे सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न करते हुए भारत को एक ऐसा लिखित संविधान दिया, जो पूरी दुनिया में सर्वोत्तम माना जाता है। यह संविधान प्रत्येक व्यक्ति को समानता, स्वतंत्रता, और न्याय का अधिकार देता है। ऐसे संविधान के निर्माता के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करना, गृहमंत्री की मानसिकता को दर्शाता है।”

अंबेडकर मिशन एवं फाउंडेशन के अध्यक्ष जी.आर. टम्टा ने कहा:
“डॉ. अंबेडकर केवल भारतीय संविधान के निर्माता नहीं थे, बल्कि सामाजिक न्याय के संरक्षक और मानवाधिकारों के सच्चे समर्थक थे। उन्होंने समतामूलक समाज की स्थापना के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उनका योगदान महिलाओं के अधिकारों और दलित समाज के सशक्तिकरण में अतुलनीय है।”

पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरु ने कहा:
“बाबा साहेब ने समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व की भावना से प्रेरित होकर एक न्यायप्रिय संविधान बनाया, जिसमें सभी जाति और धर्म के लोगों को समानता का अधिकार दिया गया है।”

प्रदर्शन में व्यक्त की गई प्रमुख मांगें:

  1. गृहमंत्री श्री अमित शाह को तत्काल उनके पद से बर्खास्त किया जाए।
  2. अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
  3. सार्वजनिक रूप से उनसे माफी मंगवाई जाए।
  4. संसद में भविष्य में ऐसे असंवैधानिक बयानों को रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि डॉ. अंबेडकर केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र और संविधान की आत्मा हैं। उनका अपमान, लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय की नींव पर हमला है।

कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख व्यक्ति:
दीपक चन्याल, गंगा प्रसाद, सतीश टम्टा, मीमांसा आर्य, पूर्व दर्जा राज्यमंत्री हरीश पनेरु और सोहेल सिद्दिकी, अंजू राज, कैलाश पांडे आदि।