ग्रामीणों की अनोखी परंपरा पलायन रोकने को गांव मे किया जाता है पांडव लीला का आयोजन

ग्रामीणों की अनोखी परंपरा पलायन रोकने को गांव मे किया जाता है पांडव लीला का आयोजन

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रिपोर्टर – महावीर सिंह राणा

स्थान – उत्तरकाशी

देव भूमी उत्तराखंण्ड जहां की संस्कृति जहां की भूमि आज भी अपनी पौराणिक संस्कृति को संवारने मे कोई कसर नही छोड रही है पर पलायन के कारण यहां के अधिकांश गांव दिन प्रतिदिन खाली हो रहे है जिसका प्रमुख कारण है गांव मे हाईटेक स्कूलों का आभाव पर जनपद उत्तरकाशी के ढूंगी गांव ने इसका समाधान निकालने के लिए गांव मे एक अनोखी परंपरा की सुरूवात की है

गांव मे पौराणिक काल से चली आ रही पांडव लीला को नये रूप मे सामने लाने के लिए ग्रामीणों ने 9 दिनों तक इस परंपरा की सुरूवात की है आपको बता दें कि जनपद उत्तरकाशी के धनारी क्षेत्र का ढूंगी गांव पूर्व विधायक स्वर्गीय गोपाल सिंह रावत का गांव है पर आधुनिकता की आड मे यहां से लगातार पलायन के कारण यह गांव खाली हो गया था

जिसके कारण गांव के बुद्धिजीवी लोग काफी परेशान थे ओर सोच रहे थे कि गांव के नौनिहालों को कैसे अपनी संस्कृति से जोडकर उन्हें अपनी गांव की जड़ों से जोड़े फिर याद आता है पांडव नृत्य जोकि जनपद उत्तरकाशी के लगभग हर गांव मे आयोजित किया जाता है पर यहां के पांडव नृत्य की ख़ास बात यह है कि लगातार 9 दिनों तक चलने वाले इस पांडव लीला मे गांव के हर नागरिक का शामिल होना अनिवार्य होता

गांव का प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी तरह से इसमे अपनी भूमिका निभाता है गांव मे 9दिनो तक पांडव रसोई के नाम से सार्वजनिक भोजन की व्यवस्था की जाती है ओर प्रत्येक ग्रामीण यहां भोजन करता है गांव मे इन 9दिनो तक किसी भी घर मे चूल्हा नही जलाया जाता है भूलवश अगर कोई अलग से भोजन बनाने की कोशिश करता है तो सारे पांडव लीला का खर्च उसी परिवार के जिम्मे आ जाता है

इस पांडव लीला मे गांव के बुजुर्गो से लेकर हर उम्र के लोगों का आना अनिवार्य होता है ओर गांव के बुजुर्गो के सानिध्य मे यहां की नयी पीढ़ी को इस पांडव लीला का अभियास करवाया जाता है गांव के पुरूष एवं महिलाओं के द्वारा सभी के लिए भोजन तैयार करदिन भर पांडव लीला के बाद सामूहिक भोजन किया जाता है