उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सबसे पहले खबरें जानने के लिए हमारे न्यूज़ चैनल. News Portal uk को सब्सक्राइब करें .ख़बरों और विज्ञापन के लिए संपर्क करें – 9634912113,- 8057536955 न्यूज़ पोर्टल, उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल में सभी विधान सभा स्तर पर संवाददाता\विज्ञापन संवाददाता, ब्यूरो चीफ की आवश्यकता है
रिपोट – ब्यूरो रिपोट
स्थान -रूडकी
साइबर ठग के आए दिन नए-नए केस और उनके तरीके पढ़ने और सुनने को मिल रहे हैं. हाल ही में साइबर ठगी के नया तरीका सामने आया है जहां जहां यह आवाज बदलकर भोले-भाले लोगों को आवाज बदलकर ठगने का काम कर रहे हैं यहा ठगों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिये एक युवक की नकली आवाज तैयार की. इसके जरिये उसके चाचा को फोन कर 50 हजार रुपए वसूल लिए. साइबर अपराधियों के एक गिरोह ने दिल्ली के 62 वर्षीय एक व्यक्ति से उसके एक रिश्तेदार के अपहरण का डर दिखाकर ठगी की है.
जिस तरह से दिन पर दिन नई- नई तकनीक बढ़ोतरी हो रही हैं, उसी तरह से फ्रॉड के नए-नए तरीके भी बढ़ोतरी होती जा रहे हैं. राजधानी देहरादून में पहले ही कई तरह के फ्रॉड चल रहे हैं लेकिन अब नए तरीके का फ्रॉड प्रचलन में है और यह है वॉइस क्लोनिंग फ्रॉड. उत्तराखंड पुलिस लोगों को जागरूक करने के लिए और इस फ्रॉड से बचाने के लिए काम कर रही है. क्या होता है वॉइस क्लोनिंग फ्रॉड और देहरादून में किस तरह लोग हो रहे इन मामलों के शिकार, देखिये यह रिपोर्ट…
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विस्तार होने के साथ ही साइबर जालसाजों ने लोगों को ठगने का नया तरीका अपनाया है। अब तक सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल, ओटीपी समेत अन्य तरीकों से ठगी हो रही थी, लेकिन अब जालसाज एआई की वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद ले रहे हैं। यह टूल आपकी आवाज इतने सलीके से नकल करता है कि अपनी व टूल की आवाज में अंतर नहीं कर पाएंगे। इसके लिए साइबर क्रिमिनल सबसे पहले किसी शख्स को ठगी के लिए चुनते हैं।
इसके बाद उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखते हैं और उसकी किसी ऑडियो व वीडियो को अपने पास रख लेते हैं।इसके बाद एआई की वॉयस क्लोनिंग टूल की मदद से उसकी आवाज क्लोन करते हैं। फिर उनके परिचित को उसकी आवाज में फोन कर बताया जाता है कि उनका एक्सिडेंट हो गया है या कोई भी इमरजेंसी स्थिति बताकर ठगी की जा रही साइबर ठगी में एआई की मदद से एनसीआर के कई मामलों की जांच हो रही है।
हाल के महीने में दर्जनों ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें एआई के इस्तेमाल होने की आशंका है। साइबर क्राइम की टीम सभी पहलुओं पर जांच कर रही है।लगता हैं विदेशों के बाद अब जालसाज जालसाजी का यह टूल भारत में भी इस्तेमाल होने लगे है