31 दिसंबर से ऑनलाइन पेमेंट पर रोक बंद होंगी गूगल पे, पेटीएम और फोनपे UPI आईडी, जानें कारण

31 दिसंबर से ऑनलाइन पेमेंट पर रोक बंद होंगी गूगल पे, पेटीएम और फोनपे UPI आईडी, जानें कारण

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रिपोट – ब्यूरो रिपोट

31 दिसंबर से ऑनलाइन पेमेंट पर रोक! बंद होंगी गूगल पे, पेटीएम और फोनपे UPI आईडी, जानें क्यों?
गूगल पे, फोन पे और पेटीएम के यूजर्स को उनकी यूपीआई आईडी को 31 दिसंबर से बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। इसका कारण यह है कि यूपीआई आईडी का इस्तेमाल न करने के कारण यूजर सिक्योरिटी परेशानियां बढ़ सकती हैं।यह निर्देश एनपीसीआई द्वारा जारी किया गया है। यह एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है और भारत के पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम को संचालित करता है।

यह निर्णय यूपीआई आईडी के फ्रॉड के खतरे को कम करने का हिस्सा है।गूगल पे, फोन पे और पेटीएम यूजर्स की दिक्कतें बढ़ सकती हैं, क्योंकि कई यूजर्स की यूपीआई आईडी को 31 दिसंबर से बंद किया जा सकता है। दरअसल इस मामले में नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI की तरफ से गूगल पे, पेटीएम और फोन पे को एक सर्कुलर जारी किया गया है,जिसमें एनपीसीआई की तरफ से थर्ड पार्टी ऐप्स जैसे गूगल पे, फोन पे और पेटीएम को उन यूपीआई आईडी को 31 दिसंबर 2023 से बंद करने का निर्देश दिया गया है,

जो एक साल से एक्टिवेट नहीं है। मतलब अगर आपने एक साल से अपनी किसी यूपीआई आईडी से लेनदेन नहीं किया है, तो उसे 31 दिसंबर 2023 के बाद बंद कर दिया जाएगायह एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है, जो भारत का रिटेल पेमेंट और सेटलमेंट सिस्टम है। यानी फोनपे, गूगल पे और पेटीएम जैसे ऐप्स इसी के दिशा निर्देशों पर काम करते हैं। साथ ही किसी तरह के विवाद की स्थिति में भी एनपीसीआई अपनी मध्यस्थता निभाता है।एनपीसीआई के सर्कुलर की मानें, तो 1 साल से इस्तेमाल ना की जाने वाली यूपीआई आईडी को बंद करने की वजह यूजर सिक्योरिटी है। दरअसल कई बार यूजर्स बिना अपने पुराने नंबर को डीलिंक करके नई आईड बना लेता है, जो फ्रॉड की वजह बन सकती है। ऐसे में एनपीसीआई की तरफ से पुरानी आईडी को बंद करने का निर्देश दिया गया है।सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेशवही संभावना है कि आपके पुराने नंबर को किसी नए यूजर को इश्यू कर दिया जाए। जैसा सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, तो उस स्थिति में फ्रॉड की संभावना बनती हैं।

इन्ही सारी वजहों से पुरानी आईडी को बंद करने का निर्णय लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया निर्णय में कहा है कि टेलिकॉम प्रोवाइडर कंपनियां 90 दिनों से डिएक्टिवेटेड नंबर को बंद कर सकती हैं। साथ ही वो नंबर किसी दूसरे को ट्रांसफर कर सकती हैं।