बिन्दुखत्ता में मनाया गया सातूं आठूं लोकपर्व, गौरा महेश्वर को दी विदाई

बिन्दुखत्ता में मनाया गया सातूं आठूं लोकपर्व, गौरा महेश्वर को दी विदाई

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रिपोर्टर-मुन्ना अंसारी

स्थान -लालकुऑं

उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति को संजोय रखने के लिये लोकपर्वो का अपना अलग ही महत्व है जिसमे एक पारंपरिक सातूं आठूं लोकपर्व की पूरे कुमाऊँ में धूम चल रही है । बिन्दुखत्ता में सातूं आठूं पर्व को मातृशक्ति ने मूर्ति बनाकर विधिवत रूप से पूजा अर्चना की । मान्यताओं के अनुसार नंदा अष्टमी सातूं आठूं पर्व भगवान शिव पार्वती की पूजा अर्चना और आनंद मनाने का त्यौहार है

जिसमे झोड़ा चांचरी पर महिलाओं और पुरूषों ने गोल घेरे में घूमकर धार्मिक एवं सांस्कृतिक गीत गाए साथ ही पूजा अर्चना के बाद गौरा महेश्वर नाम से प्रचलित शिव पार्वती की उपासना के बाद मूर्ति को भावभीनी विदाई देते हुए गौरा महेश्वर को मंदिर में विसर्जन किया गया।

बिन्दुखत्ता निवासी मीना देवी के आवास पर पिछले कई वर्षों से गमरा पर्व के साथ ही पौराणिक परंपरागत रूप से मनाई गई जिसमें लोकगीत गाते हुए मातृशक्ति द्वारा विशेष अनुष्ठान किये गये जिसको तीन पीढ़ियों से पारंपरिक रूप से मनाया जा रहा है